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UP News: यूपी से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। सात दिन पहले गऊघाट स्थित एक आश्रम से चोर अष्टधातु की मूर्ति चोरी कर ले गया। इस कारण आश्रम के महंत ने अन्न त्याग दिया। मूर्ति चुराने के सात दिन बाद चोर द्वारा दोबारा मूर्ति लौटाने की बात सामने आई है। चोर ने मूर्ति के साथ एक नोट छोड़ा। इस पत्र में उन्होंने माफी मांगी है।

चोर ने इस नोट में लिखा, 'महाराज जी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, जब से मैंने मूर्ति चुराई है तब से मुझे बहुत कष्ट हो रहा है, कृपया मुझे माफ कर दीजिए।' 23 सितंबर को खालसा आश्रम मंदिर से देर रात अष्टधातु की राधा-कृष्ण की मूर्ति चोरी हो गई थी। आश्रम के महंत स्वामी जयरामदास महाराज की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की, मगर चोरों का पता नहीं चला।

इसी बीच मंगलवार दोपहर करीब बारह बजे राष्ट्रीय राजमार्ग की सर्विस रोड पर स्थित गऊघाट लिंक रोड पर राहगीरों ने बोरे में लिपटी हुई मूर्ति देखी और स्वामी जय रामदास महाराज को सूचना दी। इसके बाद मूर्ति को खालसा आश्रम ले जाया गया। इस बोरी में एक नोट था। जयरामदास महाराज ने राधाकृष्ण की मूर्ति का जलाभिषेक किया, उसे उसी मंदिर में पुनः स्थापित किया और पूजा शुरू की।

आश्रम में मूर्ति पाकर श्रद्धालु प्रसन्न हुए। महंत ने पुलिस को चोर द्वारा लिखा गया माफी पत्र भी दिखाया।

चोर ने नोट में क्या लिखा?

'महाराज जी प्रणाम, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मैंने अज्ञानतावश राधा-कृष्ण की मूर्ति चुरा ली थी। जब से मूर्ति चोरी हुई है तब से मुझे बुरे सपने आ रहे हैं। मेरे बेटे की तबीयत खराब हो गई है। मैंने थोड़े से पैसों के लिए बहुत सारे बुरे काम किए हैं। मैंने मूर्ति बेचने की बहुत कोशिश की। मैं अपनी गलती के लिए माफी मांगते हुए प्रतिमा रखकर जा रहा हूं।'

आगे लिखा- मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मेरी गलती माफ करें और मंदिर में मूर्तों को फिर से दें।' इसकी पहचान छुपाने के लिए इसे पॉलिश किया गया है और नया आकार दिया गया है। महाराज, हमारे बच्चों को माफ कर दीजिए और अपने आराध्य को स्वीकार कर लीजिए।'

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