US Financial Crisis: दिवालियापन की कगार पर अमेरिका; लाखों नौकरियां जाएंगी, भारत पर क्या असर पड़ेगा?

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अमेरिका (USA) इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। मंदी के डर ने देश की उधारी की सीमा भी पार कर दी है। अमेरिका के पास इतना पैसा नहीं है कि वह बांड के जरिए जुटाए गए कर्ज और अन्य बिलों का भुगतान कर सके।

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने कहा है कि देश के पास 5 जून तक का समय है, जिसके बाद अमेरिका डिफॉल्ट करेगा। लेकिन डिफॉल्टर होना क्या है? क्या होता है अगर अमेरिका अपने कर्ज पर चूक करता है? दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका पर इस समय 31 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है।

मान लीजिए कोई व्यक्ति घर खरीदने के लिए बैंक से कर्ज लेता है। उसने एक घर खरीदा, कुछ समय के लिए किश्तों का भुगतान किया लेकिन फिर बैंक को भुगतान करना बंद कर दिया। उस आदमी ने कहा कि उसके पास कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं।

ऐसे में बैंक घर को सीज कर नीलाम कर देता है। वह इस पैसे से कर्ज चुकाने जा रहा है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका की संपत्ति भी कुर्क की जाएगी।

अमेरिका की मुद्रा और अर्थव्यवस्था में जनता के भरोसे के कारण अमेरिका इतना कर्ज उठा सकता है। अगर अमेरिका ने अपना कर्ज नहीं चुकाया तो दुनिया अमेरिका पर भरोसा नहीं करेगी। लोग डॉलर में पैसा निकालना शुरू कर देंगे।

नतीजतन, डॉलर का मूल्य तेजी से गिर जाएगा। इसे मुद्रा अवमूल्यन कहते हैं। जैसा कि पाकिस्तान और श्रीलंका में हुआ। जैसे ही अमेरिकी डॉलर का मूल्य गिरेगा, वहां वस्तुओं की कीमतें आसमान छू लेंगी। इसकी भरपाई के लिए अमेरिका करेंसी प्रिंट कर सकता है।

जैसा कि अर्जेंटीना अब कर रहा है और श्रीलंका ने अतीत में किया था। नए नोटों की छपाई से महंगाई और तेजी से बढ़ेगी। आखिरकार अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी।

अमेरिका में मौजूदा स्थिति क्या है?

ताजा जानकारी के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और हाउस ऑफ स्पीकर केविन मैक्कार्थी के बीच कर्ज की सीमा बढ़ाने को लेकर समझौता हो गया है। यह संभावना है कि चूक करने से पहले अमेरिकी सरकार ऋण सीमा को $3.4 ट्रिलियन तक बढ़ा सकती है।

हालांकि मैक्कार्थी ने इसके साथ कई शर्तें भी रखी हैं। कई खर्चों की सीमा होती है। इसके अलावा गरीबों के लिए कुछ योजनाओं पर काम करने की शर्तें भी लगाई गई हैं।

भारत पर क्या होगा असर?

दुनिया भर के कई देशों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। इनमें से अधिकतर देश विकसित हैं। जर्मनी आधिकारिक तौर पर मंदी में है। ब्रिटेन तेजी से मंदी की ओर बढ़ रहा है। अमेरिका के हालात का अंदाजा तो आप पहले से ही लगा चुके हैं। भारत पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है। 

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