US Iran Relations: यूएसए नवनिर्वाचित प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप का व्हाइट हाउस में वापस आना एक अहम घटनाक्रम है और इस पर दुनिया के अलग-अलग देशों की अलग-अलग राय है। खास तौर पर ट्रंप की वापसी से ईरान में चिंता का माहौल है। ट्रंप की जीत की खबर आते ही ईरान की मुद्रा अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। इस आर्थिक अस्थिरता का असर ईरान के कारोबारियों और उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। ईरान ने ट्रंप से उनके प्रति अपने सख्त रुख में बदलाव की मांग की है और अपने संबंधों को बेहतर बनाने के संकेत दिए हैं।
ईरान के सामरिक मामलों के उपाध्यक्ष मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने ट्रंप से अपील की है कि वे अपने पिछले कार्यकाल में अपनाई गई 'अधिकतम दबाव' नीति का पुनर्मूल्यांकन करें। जवाद ने कहा कि ट्रंप को यह दिखाना चाहिए कि वे अतीत की नीतियों को दोहराने के पक्ष में नहीं हैं।
हालांकि, ये अपील ऐसे वक्त में की गई है जब अमेरिका ने ईरान पर ट्रंप की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। अमेरिकी अधिकारियों ने ट्रंप की हत्या की साजिश रचने के आरोप में एक अफगान मूल के नागरिक को गिरफ्तार किया है और इसमें ईरान की भूमिका होने की संभावना है। यह घटनाक्रम ईरान-अमेरिका संबंधों में और तनाव पैदा कर सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के बीते कार्यकाल में अमेरिका ने ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे और ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी थी। तब से ईरान ने सुलेमानी की मौत का बदला लेने की कसम खाई थी। अब ट्रंप की वापसी के साथ ईरान को डर है कि अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी पुरानी नीति को और सख्त करेगा और संभवतः इजरायल के साथ मिलकर उसके विरुद्ध प्रतिबंधों को बढ़ा देगा।
ट्रंप की जीत से इजरायल में जश्न का माहौल है और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ऐतिहासिक जीत बताया है। वहीं, ईरान के कारोबारी जगत में चिंता है कि ट्रंप की वापसी के बाद क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है और प्रतिबंधों का दायरा भी बढ़ सकता है।
ट्रंप की विदेश नीति का असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मध्य पूर्व में नई भू-राजनीतिक चुनौतियां पैदा कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप अपने नए कार्यकाल में किस तरह की नीतियां अपनाते हैं और इन नीतियों का ईरान और पूरे क्षेत्र पर क्या असर होता है।
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