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लखनऊ।। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ दौरे को लेकर अटकलों को बाजार गर्म रहा। इस दौरान मंत्रीमंडल में फेरबदल से लेकर विस्तार के भी कयास लगने लगे। इसके उलट बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी मुख्यालय में संगठन और सरकार के बीच सामंजस्य को लेकर चर्चा की। जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को दूर करने के उपाय पर विमर्श हुआ। अंत्योदय के कामों के लक्ष्य को पूरा करने के साथ प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाओं और किये गये कामों के जोर शोर से प्रचार करने पर जोर दिया गया। उधर पार्टी पदाधिकारियों के बीच सबसे ज्यादा मंत्रिमंडल के संभावित फेरबदल को लेकर चर्चा रही।

 

पार्टी पदाधिकारियों के अनुसार संभावित फेरबदल में युवाओं को तरजीह दी जायेगी और बुजुर्ग मंत्रियों को संगठन का रास्ता दिखाया जा सकता है। अभी हाल ही में पार्टी के 11 प्रत्याशियों का विधान परिषद सदस्य के तौर पर निर्वाचन हुआ है। उनमें से भी कुछ सदस्यों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। इसमें विजय बहादुर पाठक और यशवंत सिंह का नाम सबसे आगे है। यह दोनों नेता हाल ही में एलएलसी निर्वाचित हुए हैं। अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायकों को भी तवज्जो दी जा सकती है। पिछड़े और दलित वर्ग के सदस्यों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है।

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बहरहाल, शाह ने बैठक में सीएम समेत संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों को मोदी सरकार की मंशा से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले संगठन और सरकार मिलकर अपने कामों के बारे में लोगों को बताये। दोनों छोर से इसकी पहल होनी चाहिए। संगठन व सरकार को अलग-अलग नहीं बल्कि मिलकर इस पर योजना बनाना चाहिये और काम करना चाहिये। उधर काफी समय से संगठन के शीर्ष नेतृत्व को कई श्रोतों से यह शिकायत मिल रही थी कि सरकार में उच्च पदों पर आसीन लोग कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनते। इस पर नियंत्रण को लेकर चर्चा हुई।

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