uttarakhand news: फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय ने एक 42 वर्षीय व्यक्ति को दुष्कर्म के इल्जाम से बरी कर दिया, जो पिछले 60 महीनों से जेल में था। आरोपी पर अपनी 15 वर्षीय बेटी के साथ दरिंदगी का आरोप था, फिर जज ने पाया कि ये आरोप झूठा था।
दिसंबर 2019 में, बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया था, जिसमें लड़की ने अपने पिता पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। उसकी छोटी बहन ने भी आरोपों का समर्थन किया था। इस व्यक्ति, जो देहरादून में कपड़े धोने का काम करता था, उसको 27 दिसंबर को अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया।
इंवेस्टिगेशन के दौरान पुलिस को लड़की द्वारा उसके प्रेमी को लिखे गए पत्र मिले, जिसमें उसने स्वीकार किया कि वह उस लड़के से प्यार करती थी जिसने उसे सीडब्ल्यूसी में झूठी शिकायत दर्ज कराने के लिए उकसाया। लड़की ने ये भी बताया कि उसके पिता उसकी प्रेमिका के साथ संबंध को लेकर असहमत थे और उसने स्कूल जाना भी बंद कर दिया था।
मेडिकल परीक्षणों में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। अदालत ने सबूतों की समीक्षा के बाद व्यक्ति को निर्दोष पाया और उसे बरी करने का आदेश दिया। ये मामला साबित करता है कि न्याय और सच्चाई के लिए सबूत और गवाहों की गवाही कितनी महत्वपूर्ण है।
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