नई दिल्ली। पंचायती राज मंत्रालय ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग के अनुदान की पहली किस्त जारी कर दी है। 15,187.50 करोड़ रुपये की यह राशि 28 राज्यों को दी गई है।
केंद्रीय पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में पंचायतों को कुल 60,750 करोड़ रू. का अनुदान मिलेगा, जो कि वित्त आयोग द्वारा किसी एक वर्ष में किया गया सबसे अधिक आवंटन है। वहीं, केंद्र सरकार की सिफारिश पर पहली बार पूर्वोत्तर राज्यों की परंपरागत इकाइयों को भी अनुदान दिया जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि पहली बार ग्राम पंचायतों के साथ ही ब्लॉक पंचायतों व जिला पंचायतों को भी अनुदान मिल रहा है। स्वच्छता तथा खुले में शौच मुक्त स्थिति बनाए रखने एवं पेयजल व वर्षा-जल संचयन आदि के कार्यों पर जोर दिया गया है। कोविड-19 संकट के दौर में अभी प्रवासी मजदूरों को लाभकारी रोजगार उपलब्ध कराना मुख्य उद्देश्य है।
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तोमर ने बताया कि पंद्रहवें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए अपनी जो अंतरिम रिपोर्ट सौंपी, उसमें भारत सरकार ने स्थानीय निकायों के संबंध में सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। आयोग ने वित्त वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए अनुदान का कुल आकार 60,750 करोड़ रू. तय किया है जो अब तक का सर्वाधिक है।
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तोमर ने बताया कि पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिश पर 28 राज्यों में फैले 2.63 लाख ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) के लिए, अनुदान के रूप में, 15,187.50 करोड़ रू. की राशि वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई है।
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