अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि आखिर जुड़वां बच्चे (Twins) क्यों होते हैं? यह एक ऐसा रहस्य है जिससे सुलझाने के लिए वर्षों से वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं. कुछ जुड़वां बच्चे एक जैसे क्यों पैदा होते हैं और जबकि कुछ जुड़वां अलग-अलग शक्ल के होते हैं, ये भी बड़ा सवाल है. दावा किया जा रहा है कि इन सवालों की गुत्थी सुलझा ली गई है.
आपको बता दें कि ये अब पता लगा लिया गया है कि जुड़वां बच्चे क्यों होते हैं. लंबे समय से ये माना जाता है कि जुड़वां बच्चे इत्तेफाक से होते हैं यानी इसमें कोई प्लानिंग काम नहीं करती लेकिन नई स्टडी से पता चला है कि वास्तव में ऐसा नहीं है. एम्स्टर्डम में व्रीजे यूनिवर्सिटिट (Vrije Universiteit in Amsterdam) के शोधकर्ताओं का दावा है कि इसका ताल्लुक डीएनए से है, जो गर्भधारण से लेकर एडल्टहुड तक बना रहता है.
रिसर्च में पाया गया कि लगभग 12 प्रतिशत गर्भधारण ‘मल्टीपल’ होते हैं यानी कि जुड़वां बच्चों के चांस होते हैं लेकिन केवल 2 प्रतिशत मामलों में ही जुड़वां बच्चों कि डिलीवरी हो पाती है. ऐसी स्थिति को ‘वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम’ कहा जाता है. अब तक ऐसा माना जाता था कि एक जैसे दिखने वाले जुड़वां बच्चे होना इत्तेफाक भर है लेकिन लेकिन स्टडी में पाया गया कि यह इत्तेफाक नहीं होता बल्कि उनके डीएनए पर निर्भर होता है.
स्टडी के लेखकों का कहना है कि डीएनए से पता लगाया जा सकता है कि क्या एक जैसे दिखने वाले जुड़वां बच्चे होंगे. हालांकि वैज्ञानिक यह नहीं पता लगा पाए हैं कि सामान्य तौर पर ऐसे डीएनए की पहचान कैसे की जा सकती है इसलिए अभी इस मामले में और रिसर्च बाकी है. यह भी पता लगाया जाना है कि ये डीएनए माता-पिता से विरासत में मिलने वाला है या एग स्प्लिट के दौरान ऐसा होता है.