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अररिया की एक कोर्ट ने आखिरकार मधु देवी को इंसाफ दिला ही दिया। अपनी पत्नी की जान लेने वाले दरिंदे पति मिथुन मंडल को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार ने इस जघन्य अपराध के लिए मिथुन को यह कड़ी सजा सुनाई साथ ही उस पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अगर मिथुन यह जुर्माना भरने में नाकाम रहता है तो उसे छह महीने की अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी।

प्यार का खौफनाक अंत

ये कहानी प्यार और धोखे की एक दर्दनाक दास्तान है। मिथुन मंडल और मधु देवी ने 2019 में प्रेम विवाह किया था। मगर इस रिश्ते में जल्द ही दहेज की काली छाया पड़ गई। मिथुन दहेज की अपनी अतृप्त मांग को पूरा न होता देख हैवानियत पर उतर आया। उसने अपनी ही पत्नी को जहर देकर मौत के घाट उतार दिया।

11 अप्रैल 2019 की वह काली रात कौन भूल सकता है? मिथुन ने अपने परिवार वालों के साथ मिलकर मधु देवी को लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा और फिर उसे जबरन जहरीला पदार्थ पिला दिया। मधु देवी की चीखें उस रात हवा में गुम हो गईं और एक हंसता-खेलता जीवन हमेशा के लिए खामोश हो गया।

मां की लड़ाई इंसाफ की जीत

मृतिका मधु देवी की मां गीता देवी ने अपनी बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ी। उन्होंने 12 अप्रैल 2019 को मिथुन और उसके 8 परिजनों के खिलाफ पलासी थाने में मामला दर्ज कराया। पुलिस ने तेजी दिखाते हुए 30 जनवरी 2020 को आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान मिथुन ने खुद को बेगुनाह बताया मगर गवाहों के बयान सच की कहानी बयां कर रहे थे। 5 अगस्त 2020 से शुरू हुई सुनवाई में सभी गवाहों ने उस भयानक रात की सच्चाई को उजागर किया। आखिरकार न्यायाधीश रवि कुमार ने मिथुन को भारतीय दंड संहिता (भादवि) की धारा 304(बी) के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।