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कश्मीर के पहलगाम की खूबसूरत बैसरन घाटी मंगलवार को गोलियों की गड़गड़ाहट से दहल उठी। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस का संयुक्त अभियान उन दहशतगर्दों की तलाश में जारी है, जिन्होंने 28 पर्यटकों की जान ले ली। मगर इस बर्बर हमले की स्याह परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं और जो जानकारी सामने आ रही है वो रोंगटे खड़े कर देने वाली है।

ये अब लगभग साफ हो चुका है कि इस खूनी साजिश की पटकथा नियंत्रण रेखा के उस पार पाकिस्तान में बैठे आकाओं ने लिखी थी। लश्कर-ए-तैयबा के हिट-एंड-रन सेल ने जिस क्रूरता से इस हमले को अंजाम दिया, वो मानवता को शर्मसार करने वाला है।

गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं श्रीनगर पहुंचकर शहीद हुए 28 पर्यटकों के पार्थिव शरीरों पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में ही रोककर दिल्ली लौटे, ताकि इस हमले पर भारत की कठोर प्रतिक्रिया की रूपरेखा तैयार की जा सके।

इस भयावह कृत्य की गूंज वैश्विक स्तर पर भी सुनाई दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। इसमें कोई दोराय नहीं कि पहलगाम में निहत्थे और मासूम पर्यटकों को निशाना बनाने वाले न केवल कायर हैं, बल्कि वे कश्मीरियत के भी दुश्मन हैं। कश्मीर अपनी मेहमाननवाजी और पर्यटकों के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है। उसकी छवि को इन दहशतगर्दों ने लहूलुहान करने की कोशिश की है।

खबरों के अनुसार, इन दरिंदों ने पर्यटकों की पहचान जानने के बाद उन पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। ऐसे हत्यारों को किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उनका मकसद साफ था कि गर्मियों के मौसम में कश्मीर घाटी में आने वाले पर्यटकों के मन में डर पैदा करना।

दहशतगर्दों का नापाक इरादा क्या

इन दहशतगर्दों का नापाक इरादा सिर्फ खून बहाना नहीं था। वे कश्मीर के मध्यम वर्ग और गरीब लोगों की आय के एकमात्र स्रोत, पर्यटन को छीन लेना चाहते थे। उनके इस घिनौने मकसद को समझने के लिए 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद के आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है। पिछले पांच सालों में कश्मीर घाटी में पर्यटकों की संख्या में आठ गुना की भारी वृद्धि हुई है, जो 8.32 करोड़ तक पहुंच गई है। पर्यटकों की इस आमद ने घाटी के आम कश्मीरियों की आय में जोरदार इजाफा किया है। रावलपिंडी में अपनी कुख्यात जासूसी एजेंसी आईएसआई के साथ बैठे पाकिस्तानी सेना के जनरलों को घाटी में लौटती यह शांति रास नहीं आ रही है।

भारत की तरक्की से जलता पाकिस्तान

इस हमले का समय भी अपने आप में बहुत कुछ कहता है। ये उस वक्त अंजाम दिया गया, जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर। पाकिस्तान नहीं चाहता कि भारत, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करे। एक समय था जब ये दोनों देश पाकिस्तान के करीबी माने जाते थे, मगर वक्त बदल चुका है। भारत ने बार-बार पाकिस्तान को यह अहसास दिलाया है कि अब पुराने दिन लद गए हैं। आज का भारत पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने और उसकी सीमा में घुसकर हमला करने का दम रखता है। इसके बावजूद पाकिस्तान निरंतर भारत में हमले करने वाले दहशतगर्दों को प्रशिक्षण, सहायता और धन मुहैया कराता रहता है।