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अगर आपसे पूछा जाए कि सबसे सुरक्षित जगह कौन सी है तो बिना वक्त गंवाए आपका जवाब होगा आपका घर। जी हां, मगर अफसोस की जोशीमठ की जनता अपने घर को महफूज नहीं मानती। क्यों? क्योंकि जोशीमठ में दरारों का जो आतंक रहा है, वो पिछले छह महीनों से नहीं बल्कि कई महीनों से है।

जोशीमठ की जनता दरारों की समस्या से कई वक्त से जूझ रही है, लेकिन इस साल की शुरुआत ही उनकी दरारों के साथ हुई। जोशीमठ के कई वार्ड और कई गांव ऐसे समय इस समस्या से जूझ रहे हैं। एक गांव जो पूरी तरीके से लैंडस्लाइड की जद में और बारिश के बाद तो गांव वालों के लिए गांव में रहना इतना मुश्किल हो गया है कि लगातार वो प्रशासन से विस्थापन की मांग करने लगे हैं।

हालात ये हो गए हैं कि लोग अपना बसा बसाया घर छोड़कर किराए के मकानों में रहने को मजबूर हो गए हैं। दिन दहाड़े धूप में पहाड़ खिसकने लगे हैं। कई घर खतरे की जद में हैं। ऐसी रिपोर्ट में मैं आपको बताऊंगा कि किस बदनसीब गांव की बात कर रहा हूं।

एक गांव पगना है। जहां हालात इस वक्त कितने बदतर हो गए हैं। वहीं गांव में स्थित 60 से 70 परिवार खतरे की जद में नजर आ रहे हैं। 50 मकान तो खतरे के मुंह में हैं, जो कभी भी ढह सकते हैं। जोशीमठ शहर में भी हमने दरारों के सिलसिले को देखा था। लोगों ने बसे बसाए आलीशान घरों को छोड़ दिया है। 

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