उत्तर प्रदेश ॥ YOGi सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि योगी सरकार में 69 हजार शिक्षक भर्ती में धांधली और घोर अनियमितताएं हुई है। सरकार ने अभ्यर्थियां का भविष्य अंधकारमय किया। जिसके चलते हाईकोर्ट ने काउंसलिंग में रोक लगा दी है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी ने आईपीएन को दिए अने बयान में कहा कि सरकार द्वारा 6 जनवरी 2019 को भर्ती की परीक्षा करवाई लेकिन ये अपने आप में पहली ऐसी परीक्षा थी जिसमें अधिकारियों द्वारा परीक्षा से पहले पासिंग मार्क्स का जिक्र नहीं किया। परीक्षा होने के एक दिन बाद सरकार ने पासिंग मार्क्स का जिक्र किया, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 97 अंक एवं आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक की बात करी गयी, जिसके बाद विवाद उत्पन्न हुआ और एक पक्ष कोर्ट चला गया।
एक साल तक कोर्ट में चले पासिंग मार्क्स विवाद को लेकर भर्ती रुकी रही जो कि पूर्ण रूप से अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा था, यदि वो परीक्षा से पहले अर्हता अंक निर्धारित करते तो भर्ती कोर्ट नहीं जाती।
प्रदेश महासचिव मनोज यादव ने कहा कि परीक्षा से पूर्व पेपर की उत्तरकुंजी भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी जिसकी बाद में सरकार ने खानापूर्ति की जाँच की बस। लेकिन जब परीक्षा का परिणाम आया तो उसमें भारी मात्रा में घोटाला देखने को मिला, अयोग्य अभ्यर्थियों के सर्वाधिक अंक, एक ही कक्ष के प्रतियोगीयों के एक जैसे अंक, एक परिवार के लोगों के एक जैसे अंक आदि विवाद परिणाम आने के उपरांत देखने को मिले।
इन सभी विवादों को दरकिनार करके सरकार अपनी हठधर्मिता से बिना किसी का पक्ष सुने आत्ममुग्ध होकर भर्ती करने पर तुली थी, तब उत्तर कुंजी विवाद पर कोर्ट ने भर्ती पुनः रोक दी, जिसमें कि सरकार द्वारा जारी उत्तरकुंजी में कई प्रश्न विवादित थे, जिनका उत्तर एनसीईआरटी या एससीईआरटी जैसी सरकारी संस्थाओं से भी भिन्न था जिसको कि सरकार ने सही माना था उत्तरकुंजी में।
शिक्षक भर्ती के परिणाम में एक और घोटाला सामने आया है जिसमें सामान्य उपनाम वाली जातियों के अभ्यर्थी आरक्षित वर्गों में दिखाया जा रहा है, जो कि परिणाम में एक बड़ी धाँधली की ओर इशारा कर रहा है, जैसे तिवारी को ओबीसी में या गुप्ता को एसटी में।