लखनऊ।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही दलितों के यहाँ भोजन करने जाते हों,लेकिन यूपी पुलिस दलितों को उनका संवैधानिक अधिकार नहीं देना चाहती। मामला कासगंज का है जहाँ पुलिस ने एक दलित की बरात को शांति के लिये खतरा बताया है। हाथरस निवासी संजय जाटव की बरात आने वाले 20 अप्रैल को कासगंज के निजामपुर गाँव में जानी है लेकिन ठाकुर बाहुल्य इस गाँव में दलित बिरादरी की बरात पूरे गाँव में चढ़ाने का रिवाज नहीं है।
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संजय जाटव ने इस मामले की शिकायत जब जिलाधिकारी और सीएम कार्यालय से की तो पुलिस ने जांच कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुये बरात चढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कासगंज के निजामपुर गाँव में जाटव परिवार की शीतल का विवाह 6 माह पहले हाथरस के संजय जाटव से होना तय हुआ है। शादी 20 अप्रैल 2018 को होनी है। संजय LLB कर रहे हैं। वह अपनी बरात धूमधाम से ससुराल में लाना चाह रहे हैं लेकिन जब उन्होंने शीतल के घरवालों से इस सम्बन्ध में बात की तो पता चला कि ठाकुर बाहुल्य इस गाँव में दलित बिरादरी को पूरे गाँव में बरात चढ़ाने की अनुमति नहीं है।
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वधू शीतल के चाचा हरि सिंह ने बातचीत में बताया कि 20 वर्ष पहले एक जाटव परिवार की बरात को इसी वजह से वापस लौटना पड़ा था। हमने यह बात दामाद संजय को समझाई लेकिन वह अपनी बरात धूमधाम से निकालना चाहते हैं।
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हाथरस से संजय जाटव ने में बताया कि जब बरात को लेकर ऐसी बातें मुझे पता चली तो मैंने जिलाधिकारी कासगंज और सीएम के जनसुनवाई पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराई। चूँकि निजामपुर गाँव में ठाकुरों की संख्या 250 से 300 के आसपास है। जबकि जाटव सिर्फ 40 से 50 लोग हैं। इसलिए यहाँ दलित बिरादरी की बरात निकलने को गलत माना जाता है। जिसे लेकर हमने शिकायत की है। लेकिन पुलिस ने हमें सुरक्षा देने की बजाय बरात को शांति के लिए खतरा बता दिया है। संजय ने कहा ऐसा तब है जब संविधान ने हमें बराबरी का हक़ दिया है।
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संजय कहते हैं जब ठाकुर बिरादरी के लोग पूरे गाँव में बरात निकाल सकते हैं तो दलित बिरादरी के लोग क्यों नहीं पूरे गाँव में बरात निकाल सकते हैं। आज के दौर में ऐसी परंपराओं के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसी मामले की वजह से हमने शादी की तैयारी भी अभी नहीं की है। हम पुलिस से सिर्फ सुरक्षा चाहते हैं।
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कासगंज कोतवाली के पुलिस उपनिरीक्षक राजकुमार सिंह ने जांच के बाद एसपी कासगंज को लिखे पत्र में कहा है कि “गांव में गोपनीय रूप से जांच की गई तो पता चला कि आवेदक (संजय जाटव) के पक्ष के लोगों की बारात गांव में कभी नहीं चढ़ी है और आवेदक के द्वारा गांव में बारात चढ़ाये जाने से शांति व्यवस्था भंग होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता और गांव में अप्रिय घटना भी हो सकती है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली के निर्देशों का पालन करते हुए बारात चढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”
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DM कासगंज आरपी सिंह ने बताया, मामला हमारे संज्ञान में आया है। किसी को भी बरात निकालने के लिए कोई भी परमिशन की जरूरत नहीं है आवेदन करने वाले युवक संजय ने बरात को पूरे गाँव में घुमने को लेकर परमिशन मांगी है। इस मामले की जांच पुलिस से कराई गई है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार परमीशन देने से इलाके में तनाव हो सकता है।
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