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2024 चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी सीट एक बार फिर से सियासी रूप से हॉट सीट हो सकती है। कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के एक बयान से राहुल गांधी के अमेठी से प्रत्याशी होने के कयास लगाए जाने लगे हैं। अजय राय के बयान को स्थानीय कांग्रेस नेता हाथोंहाथ ले रहे हैं।

इससे अमेठी में एक बार फिर रोचक मुकाबले के आसार नजर आने लगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपने गृह जनपद वाराणसी पहुंचते ही अजय राय ने राहुल गांधी के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ सकने की बात कह कर हलचल मचा दी। हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा अमेठी के कार्यकर्ता चाहते हैं।

अमेठी लोकसभा सीट गांधी नेहरू खानदान की परंपरागत सीट रही है। ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है जब यहां से गांधी नेहरू परिवार के लोगों को शिकस्त झेलनी पड़ी हो। साल 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में संजय गांधी को हार का स्वाद चखना पड़ा था तो 2019 में भाजपा की स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया था।

वर्तमान में स्मृति इरानी अमेठी से सांसद हैं और अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए वो लगातार यहां सक्रिय भी हैं। 2019 का चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी भले ही सिर्फ तीन बार अमेठी आए, लेकिन स्थानीय पार्टी नेताओं ने राहुल गांधी के दोबारा आंतरिक चुनाव लड़ने को लेकर अपनी उम्मीद हमेशा बनाये रखी। राहुल भी अमेठी से रिश्ता बनाये रखने के लिये अपने ढंग से सक्रिय रहे।

उन्होने कोरोना काल में यहां राहत सामग्री भेजी थी। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा दिए गए बयान से स्थानीय कार्यकरता और भी उत्साहित नजर आने लगे हैं। ऐसी रूप से अमेठी लोकसभा क्षेत्र में फिलहाल बीजेपी बढ]त में है। क्षेत्र की जगदीशपुर, तिलोई और सलोन सीट में भाजपा के विधायक हैं जबकि गौरीगंज और अमेठी सीट पर सपा का कब्जा है। इस स्मृति इरानी के पक्ष में लोग जहां उनके साथ ही केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा कराये गए कामों को लेकर जनता के बीच जा रही है।

आंकड़े की बात करें तो स्मृति इरानी 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में सक्रीय हुई। इस चुनाव में उन्होंने बेहद कम समय में पैठ बनाते हुए 3 लाख से अधिक वोट प्राप्त किये। राहुल गाँधी ने चुनाव में हैट्रिक लगाई और उन्होने 4 लाख से अधिक मत प्राप्त करते हुए करीब 1 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। हालांकि चुनाव हारने के बाद भी स्मृति इरानी केन्द्रीय मंत्री बनी।

उन्होने अमेठी सीट नहीं छोड़ी और वो यहां लगातार डटी रहीं और अंततः 2019 के चुनाव में राहुल को 55,000 से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया। ऐसे में अगर राहुल गांधी एक बार फिर से अमेठी में चुनाव लड़ते हैं तो यहां पर एक बार फिर से कड़ा सियासी मुकाबला देखने को मिल सकता है।

 

 

 

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