उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वर्ष 2013 की 16-17 जून को जलप्रलय से हुई तबाही का एक खौफनाक मंजर देखा था. इस दिन आसमान से बरसी आफत ने प्रदेश के केदार घाटी को पूरी तरह तबाह कर दिया था, जिसे कभी भूला नहीं जा सकता. उन निशानों को मिटाने में वर्षों लग गए. 5 साल पहले आपदा का दंश झेल चुका बाबा धाम केदार घाटी में अब सब कुछ सामान्य होने लगा है. बाबा के धाम की रौनक लौट आई है. बाबा के धाम को नया रंग रूप प्रदान करने की कोशिशें अभी भी जारी है. अगर ये सब इसी गति से जारी रहा तो केदारनाथ एक ऐसा स्थान होगा, जहां दुनिया का हर आदमी एक बार जरूर यहां आकर बाबा के दर्शन करना चाहेगा.
वहीं वर्ष 2013 की केदारनाथ की जल प्रलय के सरकारी आंकड़े बताते है कि आज भी करीब 4 हजार से ज्यादा लोग लापता हैं. इनको इस लिए मृत नहीं माना जा सकता क्योंकि कानूनी लिहाज से जब तक किसी भी मृत व्यक्ति का 7 साल में शव नहीं मिल जाता तब तक उसे मृत घोषित नहीं जा सकता है. शायद यही वजह है कि आज भी प्रदेश सरकार की फाइलों में कई हजार गुमशुदा लोगों के नाम दर्ज हैं.
आज केदारनाथ पूरी तरह से बदल गया है. केदारनाथ जाने वाली सड़कें पूरी तरह से बदल गईं हैं. केदारनाथ में अब हाईटेक हेलीपैड है तो वहीं होटल और धर्मशाला अत्याधुनिक तरीके से बनाई जा रहीं हैं. केदारनाथ मंदिर के चारों तरफ बड़ी सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है और तो और अगर भविष्य में कभी आपदा जैसे हालात अगर बनते हैं तो उसके लिए रेस्क्यू टीमों की टुकड़ी भी हमेशा अलर्ट रहने के निर्देश हैं.
बहरहाल, केदार यात्रा सीजन के बीते 30 अप्रैल को बाबा के धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक 6 लाख से ज्यादा लोग बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं. ये सिलसिला अनवरत जारी है, साथ ही जारी है बाबा के धाम को एक नया स्वरूप देने की मुहिम. ताकि केदारपुरी में पहुंचने वाले यात्री जब वापस जाएं तो वे 2013 की डरावनी यादों को नहीं बल्कि 2018 के खुशनुमा माहौल के साथ सुरक्षित यात्रा को अपने दिलों में बसाकर अपने घर वापस पहुंचे.