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लखनऊ।। प्रदेश में सरकार बनने के बाद से ही CM योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है।पूर्व-वर्ती सरकारों में किए गए कामों की जाँच-पड़ताल जारी है।लेकिन योगी सरकार के मंत्री ही भ्रष्टाचार के मामलों की जांचों की धार कुंद करने पर तुले हुए हैं।

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सूबे का ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (पूर्व में RES) का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। निर्माण में घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते जिस अभियंता की सत्यनिष्ठा को संदिग्ध करते हुए परनिंदा प्रविष्टि दी गई थी और जिसे विभाग के अपर मुख्य सचिव ने भी जाँच में इसे दोषी पाते हुए कड़ी कार्यवाही की मंशा जाहिर की।

उसे विभागीय मंत्री राजेन्द्र सिंह “मोती सिंह ” ने कार्यवाही के नाम पर सिर्फ एक चेतावनी देकर भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से बरी कर दिया। सूत्रों की मानें तो इस अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार के सभी मामलों को आनन-फानन में इसलिए समाप्त किया जा रहा है क्योंकि उस भ्रष्ट अफसर को मंत्री राजेंद्र सिंह RED का डायरेक्टर बनाना चाहते हैं और इसके लिए चाहे जो भी करना पड़े मंत्री राजेंद्र सिंह करने को तैयार बैठे हैं।

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आपको बता दें , वर्ष 2012-13 में बार्डर-एरिया-डेवलपमेंट योजना के तहत जनपद श्रावस्ती के विधान-सभा क्षेत्र ​भिनगा में दो नालों पर RCC पुलिया का निर्माण होना था। ये कार्य वर्तमान अधीक्षण अभियंता कानपूर आरपी सिंह की निगरानी में कराए गये।

एक पुलिया गुलरा से पड़वलिया मार्ग के भैंसाही नाले पर बना। पर यह ज्यादा समय तक ठहर नहीं सका। दूसरी पुलिया शिवपुर नाले पर ककरदरी के पास बरगदहा गांव में बना, यह भी पहली बरसात की बाढ़ में ही बह गया।

मामला जब तूल पकड़ने लगा तब तत्कालीन जिलाधिकारी श्रावस्ती ने पुरे प्रकरण की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया। जाँच समिति ने पाया कि इन निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितता बरती गयी और आरोप प्रमाणित पाया गया, तब इंजी आरपी सिंह को नोटिस भेजकर इस प्रकरण में स्पष्टीकरण मांगा गया।

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लेकिन आरपी सिंह ने स्पष्टीकरण देने में कोई रूचि नहीं दिखाई और मामले को रफा-दफा करने में जुटे रहे। लेकिन शासन ने इसी साल 12 जनवरी 2017 को आरपी सिंह की सत्यनिष्ठा को संदिग्ध करार करते हुए परनिंदा प्रविष्टि दी।

तब इसके विरूद्ध आरपी सिंह ने आनन-फानन में शासन को बीते 21 जनवरी माह में अपना जवाब शासन को सौंपा, जिसपर कार्यवाही लंबित चल रही थी।लेकिन बीजेपी सरकार बनने के बाद इस फाइल ने तेजी पकड़ ली और विभागीय मंत्री राजेंद्र सिंह के आदेश के बाद बीते 31 मई को आरपी सिंह को मात्र सचेत कर पुलिया निर्माण में हुई धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

फ़ाइल : फोटो

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