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लखनऊ।। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भले ही आज मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन आज के समय में भी वह सीएम योगी और पीएम मोदी से भी ज्यादा व्यस्त हैं। ये कहना है कि अखिलेश यादव के कार्यालय का जिम्मा संभाल रहे जिम्मेदार लोगों का। अखिलेश यादव से मिलने के लिये जब भी कोई दलित या पिछड़ा आता है, तो उसे उसी नजरिए से देखा जा रहा है। उसे जवाब भी कुछ इसी तरह से दिया जा रहा है, कि वह दोबारा वो अपनी पीड़ा लेकर यहां न आए। उसे लेटर देकर चले जाने और महीने-तीन महीने तक पहले तो इंतजार करने के लिये कहा जा रहा है, फिर वो लेटर ही गायब हो जाता है। इसको लेकर ओबीसी एसोसिएशन समेत पार्टी कार्यकर्ता से लेकर समर्थक नाराज हैं।

 

अखिलेश यादव से मिलने के लिये समय नहीं दिये जाने से नाराज ओबीसी एसोशिएशन, मोस्ट बैकवर्ड क्लासेंज एसोशिएशन और राष्ट्रीय निषाद संघ के कार्यकर्ता 7 मई को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आवास पर अनशन करेंगे। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि यह सपा के हित में किया जा रहा है। अखिलेश यादव को भी सच्चाई पता चलनी चाहिए।

लौटन राम निषाद के मुताबिक, इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने दर्जनों पत्र भेजे, लेकिन एक भी पत्र पर मुलाकात के लिये नहीं बुलाया गया। यही नहीं, जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट पर लगे सुरक्षा अधिकारी इस तरह से लोगों से व्यवहार कर रहे हैं, जैसे वह यहां पर भीख मांगने आये हैं। उन्हें गेट बंदकर भगा दिया जाता है। विरोध प्रदर्शन की बात करने वाले राजीव निषाद बताते हैं कि पार्टी कार्यालय का काम देख रहे एसआरएस यादव भी तनाशाह की तरह बात करते हैं। अखिलेश यादव की छवि को ये नेता बर्बाद कर रहे हैं।

गंगाराम को लेकर नाम न छापने की शर्त पर ओबीसी एसोशिएन के पदाधिकारी कहते हैं कि गंगाराम ने सरकार के 5 साल के कार्यकाल में क्या क्या किया है, जिस दिन खुलासा होगा लोग हैरान रह जायेंगे। गंगाराम ने सरकार को बदनाम करने का काम किया है। वह लोगों को मुलाकात के लिये अपना सिस्टम चलाते हैं, जिसको चाहते हैं वह पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलता है। गंगाराम और एसआरएस यदि पार्टी में इसी तरह मुख्य भूमिका में रहे तो यह समाजवादी पार्टी नहीं सामंतवादी पार्टी हो जायेगी।

समाजवादी पार्टी के एक नेता एसोशिएशएन के अनशन करने को जायज बताते हैं। वह कहते हैं कि पार्टी को बचाने के लिये यह जरूरी है। दलितों-पिछड़ों को इस तरह से परेशान करने का काम काफी समय से हो रहा है। शायद अखिलेश यादव इसको लेकर गंभीरता के साथ फैसला करेंगे।

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पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि अखिलेश यादव इस गंभीर मामले पर गोपनीय रिपोर्ट मंगा सकते हैं। वह इस तरह की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेंगे। जल्द ही इसको लेकर मामले को सुलझा लिया जाएगा। अनशन के पहले ही कोशिश हो रही है कि मुलाकात सभी की हो जाये।

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हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि एसआरएस यादव या गंगाराम के विरोध में स्वर उठे हैं। निकाय चुनाव के टिकटों के बंटवारे को लेकर भी एसआरएस यादव का नाम आ चुका है। पार्टी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का सबसे ज्यादा करीबी होने का सबसे अधिक फायदा एसआरएस यादव दवरा लिया जा रहा है। कई जिलों से पार्टी के लोगों ने टिकटों के बंटवारे में वसूली को लेकर आवाज भी उठाई। मामला पार्टी मुख्यालय तक पहुँच भी गया लेकिन दबा दिया गया।

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