img

अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। 17 नवंबर के पहले कभी भी अदालत देश के सबसे पुराने विवाद में अपना फैसला सुना सकती है। इस बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक मूल्यों की याद दिलाते हुए कहा है कि इस मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा।

इस केस में अंतिम दलील के रूप में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कई बातें रखी हैं। बोर्ड की तरफ से वकील एजाज मकबूल ने कहा ‎कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय आता है वह आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। इसका देश की राजनीति पर भी व्यापक असर पड़ेगा। अदालत के इस फैसले से उन लाखों लोगों पर असर पड़ सकता है जो इस देश के नागरिक हैं और जो देश के संवैधानिक मूल्यों को मानते हैं।

पढ़िएः केजरीवाल सरकार से भी सस्ती बिजली देंगी मोदी सरकार, भाजपा सांसद ने किया खुलासा

चूंकि इस अदालत के फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, इसलिए अदालत को अपने ऐतिहासिक फैसले के नतीजों पर इस तरह से विचार करना चाहिए कि देश के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हो। मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से छह प्रतिनिधियों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा ‎कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा किसी पक्ष को समझौता मंजूर नहीं है।

समझौते की शर्तें जो लीक हुई हैं, वह हमें मंजूर नहीं हैं। इसके साथ ही मध्यस्थता के लिए अपनाई प्रक्रिया को भी हम खारिज करते हैं। समझौते के लिए जमीन पर दावा वापस लेने की शर्त हमें मंजूर नहीं है। सीजेआई अगले महीने 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि उससे पहले अयोध्‍या मामले में फैसला आ सकता है। अयोध्या मामले पर लगातार 40 दिन तक चली सुनवाई पूरी हो गई है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने संबंधित पक्षों को मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर लिखित नोट रखने के लिए तीन दिन का अतिरिक्त समय दिया था।

--Advertisement--