लखनऊ ।। यूपी के कन्नौज लोकसभा क्षेत्र Samajwadi Party का मजबूत गढ़ माना जाता है। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यहां से सांसद हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में डिपंल यहां से नहीं उतरेंगी।
अखिलेश यादव ने खुद ही इस सीट से चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। पर सूबे के बदले सियासी समीकरण में अखिलेश के लिए भी कन्नौज से जीतना आसान नहीं होगा, क्योंकि साल 2014 के ही लोकसभा चुनाव में डिंपल को जीतने के लिए लोहे के चने चबाने पड़े थे।
इसके बाद ही कहीं जाकर वो 19 हजार 907 वोट से जीत हासिल कर पाई थीं। अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि कन्नौज लोहिया जी की सीट रही है, इसीलिए मैं चाहता हूं कि कन्नौज सीट से हमें चुनाव लड़ने का मौका मिले।
साफ है कि डिंपल 2019 के चुनाव में कन्नौज से नहीं लड़ेंगी। ऐसे में अखिलेश अपनी परपंरागत सीट पर किसी दूसरे को चुनाव लड़ाने के बजाय खुद ही उतरना चाहते हैं। कन्नौज लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं।
इनमें कन्नौज जिले की 3 विधानसभा कन्नौज, तिरवा और छिबरामऊ शामिल हैं। इसके अलावा कानपुर देहात की रसूलाबाद और औरेया जिले की बिधूना विधानसभा सीट भी कन्नौज लोकसभा सीट का हिस्सा है।
2017 के विधानसभा चुनाव में इन पांच में से चार सीट पर BJP और महज एक पर सपा जीती थी। सपा ने अपनी एक-मात्र सीट भी महज 2400 वोटों से जीती। विधानसभा चुनाव के हिसाब से देखा जाए तो सपा के दुर्ग कहे जाने वाले कन्नौज में BJP ने जबर्दस्त सेंधमारी कर दी है।