बसपा सुप्रीमो मायावती इस दिन फूकेंगी चुनावी बिगुल, गठबंधन पर ले सकती हैं बड़ा फैसला

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Lucknow. लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले गठबंधन के केंद्र में बसपा सुप्रीमो मायावती हैं और बसपा सुप्रीमो के फैसले पर सभी की निगाहें लगी हैं। बसपा सुप्रीमो अपने जन्मदिन से चुनावी बिगुल फूंकने जा रही हैं और उसी दिन से बसपा की चुनावी रणनीति का ऐलान करते हुए कार्यकर्ताओं को चुनावी जिम्मेदारी भी सौंप दी जाएगी। जन्मदिन के अवसर पर सभी जिला मुख्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित होंगे।

मायावती

बसपा को इस चुनाव में सबसे अहम माना जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भले ही बसपा ने एक भी सीट ना जीती हो, लेकिन इस चुनाव में बसपा को सबसे अहम माना जा रहा है। बसपा सुप्रीमो गठबंधन को लेकर क्या फैसला लेंगी और वह किसे गठबंधन में शामिल करने के लिए सहमति देंगी और किसे नहीं, उनके इस फैसले पर प्रदेश के सियासी दलों के रणनीतिकारों की निगाहें लगी हैं। माना जा रहा है कि अपने जन्मदिन पर बसपा सुप्रीमो बड़ा ऐलान कर सकती हैं।

बसपा सुप्रीमो का जन्मदिन 15 जनवरी को है और बसपा की सियासत में पार्टी सुप्रीमो का जन्मदिन बड़ा आयोजन है। उनके जन्मदिन को कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार भी पार्टी द्वारा सभी जिला मुख्यालयों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

पार्टी सूत्रों की मानें तो जन्मदिन के अवसर पर ही पार्टी सुप्रीमो मिशन 2019 के लिए अपनी रणनीति का ऐलान कर सकती हैं और कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए नई जिम्मेदारी सौंप सकती हैं। जन्मदिन पर उनके द्वारा दिया जाने वाला संबोधन आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अहम होगा।

बसपा सुप्रीमो मायावती अपने बर्थडे पर एससी, एसटी और पिछड़ों के साथ मुस्लिमों को जोड़ने के लिए अभियान चलाने का जिम्मा सौंप सकती हैं। इसी के साथ संगठन को दुरुस्त करने के लिए कुछ पदाधिकारियों में एक बार फिर से बदलाव की संभावना है।

युवाओं को 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी

लोकसभा चुनाव से ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने के लिए युवाओं को जोड़ने के निर्देश जिलों में दिए गए हैं। वह युवाओं को ही पार्टी की असली ताकत मानकर चल रही हैं। इसके लिए संगठन में युवाओं की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी तय कर दी गई है। बूथ कमेटी में अधिक से अधिक युवाओं को रखने के निर्देश संगठन के पदाधिकारियों को दिए गए हैं।

बसपा ने सभी को पछाड़ा

मिशन 2019 में फतह हासिल करने के लिए सभी दलों द्वारा बूथ को टारगेट किया गया है और बूथ पर जीत हासिल करने की रणनीति बनाने का दावा सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं। सभी के द्वारा बूथ पर अपने सदस्यों बड़ी फौज तैयार की गई है। लेकिन वास्तव में सभी दलों पर इस मामले में बसपा ही भारी पड़ती दिख रही है।

चुनाव आयोग ने वोट बनवाने में पारदर्शिता लाने को सभी राजनीतिक दलों से हर बूथ पर सरकारी बीएलओ की तर्ज पर अपने वर्कर को बतौर बीएलए तैनात करने, उसका नाम और मोबाइल नंबर जिला निवार्चन अधिकारी को हर जिले में मुहैया कराने का आग्रह किया था। लेकिन राजनीतिक दलों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। सिर्फ बसपा ने ही सभी बूथ पर बीएलओ तैनात किए हैं।

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