हिंदुस्तान की पहली अंतरिक्ष महिला यात्री, जिनकी मौत का रहस्य NASA ने सबसे छुपाया था

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नई दिल्ली ।। आज हम आपको हिंदुस्तान की ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे है जो न सिर्फ हिंदुस्तान का नाम रोशन किया है बल्कि आज विश्व के वैज्ञानिको में अपनी १ जगह भी साबित कर ली है जी हाँ आज हम आपको हिंदुस्तान की पहली स्पेस महिला, जिनकी मौत का राज NASA ने सबसे छुपाया था उनके बारे में बताने जा रहे है।

कल्पना चावला ने स्पेस में कदम रख कर अपना सपना तो पूरा कर लिया था, लेकिन वो ये नही जानती थी कि स्पेस में कदम रखने के बाद वह कभी भी धरती पर कदम नहीं रख पाएगीं, अपनीपहली स्पेस यात्रा के बाद जब दूसरी बार 2003 में कल्पना ने अपने वैज्ञानिक साथियों के साथ स्पेस यात्रा की। यान जब धरती के वायुमंडल से बाहर गया तो शटल के साथ एक भारी टुकड़ा टकरा गया था।

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इस बारे में यान में बैठे वैज्ञानिकों व कल्पना को नही मालूम था, लेकिन NASA ऑफिस में बैठे वैज्ञानिक इस बारे में जानकारी हो चुकी थी, इस के बाद भी उन्होंने किसी को कुछ नही बताया, यान स्पेस में पहुंच गया, वहां पर सभी वैज्ञानिकों ने मिलकर 16 दिन तक अपनी रिसर्च व कार्य को अच्छे से किया, उन्होंने अपनी सारी रिपोर्ट धरती NASA के पास भेज दी थी, उसके बाद जब यान वापिस आ रहा था, धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते ही, यान के उस हिस्से परवायु का दबाव पड़ने लगा, उस समय भी यान में बैठे सभी लोग इस बात से बेखबर थे लेकिन NASA के वैज्ञानिक जानते थे कि अब क्या होगा,इसके बाद 1 फरवरी को धरती से करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर ही यान टूट कर गिर गया। उस समय धरती पर खड़े लोगों को सिर्फ एक सफेद धुंए की लाइन ही दिखाई दी।

NASA वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्हें यह बात पता लग चुकी थी, मगर उन्होंने कल्पना व बाकी साथियों को इसलिए यह बात नही बताई ताकि वह स्पेस में अपने16 दिन बिना किसी डर व खुशी से जी सकें, अगर उन्हें यह बात पता लगती तो वहकाफी दुखी व डर जाते।

17मार्च, 1962 में हरियाणा के करनाल में जन्मी कल्पना चावला ने 12वीं के बादपंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया था, घर में प्यार से सभी इन्हें मोंटू कहते थे, इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन से की, इनके पिता इन्हें टीचर या डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन इन्होंने अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की, बचपन से ही इन्हेंस्पेस में रुचि थी, वह अपने पिता से अक्सर स्पेसयान के बारे में पूछा करती थी, उसके बाद उन्होंने अमेरिका से ‘एरो स्पेस इंजीनियरिंग’ में अपनी पीएचडी पूरी की।

दिसंबर1994 में उन्होंने NASA के स्पेस सेंटर में ट्रेनिंग शुरु की, अगले ही साल उन्हें एस्ट्रोनोट ग्रुप के लिएचुन लिया था गया, उसके बाद 19 नंवबर 1997 को एसटीएस 87 मिशन ने अपनी पहली उड़ान भरी, यह उड़ान 19 नंबवर से लेकर 15 दिसंबर तक थी, इस दौरान उन्होंने 372 घंटे स्पेस में बिताते हुए धरती की 252 परिक्रमा पूरी की थी, अपनी पहली सफल उड़ान के बाद उन्होंने 2003 में अपनी दूसरीउड़ान भरी। कोलंबिया स्पेस शटल में भरी इस उड़ान के समय उन्हें यह नहीं मालूम था कि यह उनकी अंतिम उड़ान होगी, दूसरी उड़ान में उन्होंने 16 दिन स्पेस में बिताए थे।

फोटो- फाइल

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