पटना।। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले में जेल की सजा काट रहे राजद सुप्रीमो
लालू यादव के इस दांव से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गहरा झटका लगा है।
अररिया लोकसभा उप-चुनाव से पहले बिहार में जदयू के निलंबित विधायक सरफराज
आलम ने शनिवार को पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और
राजद में शामिल हो गये। आलम ने ऐसा करके अररिया लोकसभा उप-चुनाव लड़ने
का स्पष्ट संकेत दे दिया है जिसका प्रतिनिधित्व उनके पिता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन
करते थे।
खबर के मुताबिक लालू प्रसाद ने उन्हें उप-चुनाव में राजद का उम्मीदवार भी घोषित कर
दिया है। इधर नीतीश कुमार की सत्तारुढ़ जनता दल यूनाइटेड ;(जदयू) ने फैसला किया
है कि वो दो विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिये 11 मार्च होने वाले उप-चुनाव में
अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
इस सम्बन्ध में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने आज मीडिया को बताया कि उनकी पार्टी राज्य के दो विधानसभा क्षेत्र जहानाबाद और भभुआ तथा अररिया लोकसभा सीट के लिए होने वाले उप-चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी। उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर उप-चुनाव होने वाले हैं वहां से पार्टी का कोई सांसद या विधायक नहीं है। ऐसे में जदयू चुनाव लड़ना नहीं चाहता।
उल्लेखनीय है कि बिहार के जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुद्रिका सिंह यादवए भभुआ से भारतीय जनता पार्टी के आनंद भूषण पांडेय और अररिया लोकसभा क्षेत्र से राजद के मोहम्मद तस्लीमउद्दीन के निधन के कारण इन क्षेत्रों में 11 मार्च को उप चुनाव होगा।
आलम ने विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद आज राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी से उनके आवास जाकर भेंट की और उसके बाद राजद के कार्यालय में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी की उपस्थिति में राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली।
उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू पर बीजेपी से हाथ मिलाकर धर्मनिरपेक्ष ताकतों को धोखा देने का आरोप लगाया। यह घटनाक्रम बिहार में विधानसभा की दो सीटों के साथ ही अररिया लोकसभा सीट के लिए उप-चुनाव घोषित होने के एक दिन बाद आया है। अररिया लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व दिवंगत मोहम्मद तसलीमुद्दीन करते थे और वह राजद के सांसद थे।
तसलीमुद्दीन ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 2 लाख से अधिक वोट से सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं अलग-अलग चुनाव लड़ने वाली भाजपा और जदयू के उम्मीदवार क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे थे।
राजद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद आलम ने पत्रकारों से कहा, “मैं जदयू में इसलिये शामिल हुआ था, क्योंकि वह उस समय महागठबंधन का हिस्सा थी जो धर्मनिरपेक्ष ताकतों का प्रतिनिधित्व करता था।
पार्टी द्वारा धर्मनिरपेक्ष ताकतों को धोखा देने के बाद से ही मैं अपने मतदाताओं और अपनी मां की ओर से दबाव में था कि मैं अपनी पिता की पार्टी में शामिल हो जाऊं।”