बजट में जनता को ये शानदार तोहफा देने वाली है मोदी सरकार, सुनकर खुशी से झूम उठेंगे आप

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नई दिल्ली ।। सरका’र आम बजट में हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के उपाय कर सकती है। वह इसे सुस्त अर्थव्यवस्था में जान फूंकने और रोजगार के अधिक मौके बनाने का ऐसा तरीका मान रही है, जिसका प्रभाव जल्द पड़ेगा। इसी के अंतर्गत, सरका’र बड़ा टैक्स बेनिफिट देने पर विचार कर रही है ताकि घरों की खरीदारी को बढ़ावा मिल सके। अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए ब्याज दरें घटाने और दूसरा मकान खरीदने पर कुछ बेनिफिट्स बहाल करने पर भी विचार किया जा रहा है।

एक बड़े सरका’री अफसर ने कहा कि राय ये बन रही है कि हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कुछ इंसेंटिव्स दिए जाने चाहिए।’ उन्होंने कहा कि अधिक आय इंसेंटिव और अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने समेत कई कदमों पर विचार किया जा रहा है।

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5 जुलाई को आम बजट पेश किया जाना है। सरका’र आर्थिक मंदी रोकने के उपायों पर मंथन कर रही है और हाउसिंग को ऐसे सेक्टरों में देखा जा रहा है, जिनसे इस काम में मदद मिल सकती है। देश की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2019 में सुस्त होकर 6.8 प्रतिशत रही, जो पांच साल का सबसे निचला स्तर रहा।

मोदी सरका’र ने जुलाई 2014 में अपने पहले बजट में हाउसिंग लोन पर इंट्रेस्ट डिडक्शन 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपए किया था। कंस्ट्रक्शन यदि पांच वर्ष में पूरा हो तो फुल डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। सरका’र प्री-कंस्ट्रक्शन पीरियड के लिए कुछ और फायदा दे सकती है। ये कदम देर से पजेशन मिलने की परेशानी को देखते हुए उठाया जा सकता है। पूरा इंट्रेस्ट डिडक्शन प्री-कंस्ट्रक्शन के लिए ही देने की इजाजत भी दी जा सकती है।

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नांगिया अडवाइजर्स एलएलपी के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर राकेश नांगिया ने कहा कि दो लाख रुपये की लिमिट रखते हुए प्री-कंस्ट्रक्शन पीरियड के इंट्रेस्ट को मौजूदा साल के साथ जोड़ना ठीक नहीं है। ये व्यवस्था समाप्त की जानी चाहिए। इससे पहले दूसरा घर रखने वाले लोग हाउसिंग लोन के ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकते थे और साल में इसकी कोई लिमिट नहीं थी।

इंट्रेस्ट के रेंटल आय से अधिक होने के कारण होने वाले लॉस को अदर इनकम से ऑफसेट किया जा सकता था। वित्त वर्ष 2018 के बजट में दूसरे मकान पर इंट्रेस्ट के इस डिडक्शन की सीमा 2 लाख रुपये कर दी गई।

लॉस 8 आकलन साल तक कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है। हालांकि रेंटल यील्ड कम होने से इस लॉस को ऑफसेट करना मुश्किल हो गया है। टैक्स एक्सपर्ट्स ने कहा कि इन प्रतिबंधों को हटाने और पिछली व्यवस्था बहाल करने से टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी क्योंकि ज्यादातर भारतीयों का मुख्य निवेश रियल एस्टेट में ही है।

फोटो- प्रतीकात्मक

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