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नई दिल्ली।। पीएम मोदी के भाषणों में इस्तेमाल होने जुमलों को लेकर लोगों में अक्सर

ये उत्सुकता होती है कि इन जुमलों के पीछे आखिर किसका दिमाग है। अभी प्रधानमंत्री

मोदी ने रविवार को बेंगलुरु की चुनावी रैली में एक नया जुमला ‘टॉप (TOP)’ उछाला था।

इसका मतलब है टमाटर, ऑनियन और पोटैटो। दरअसल, TOP टमाटर, ऑनियन और

पोटैटो का एक्रोनिम (शब्दों के प्रथम अक्षरों से बना शब्द) है।

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इससे पहले भी कई मौकों पर पीएम मोदी विरोधियों के खिलाफ तीखे जुमलों का प्रयोग

कर चुके हैं। मजे की बात यह है कि उनके जुमले लोगों की जुबां पर चढ़ जाते हैं। इसकी

पड़ताल की गयी कि आखिर मोदी ऐसे जुमले लाते कहां से हैं तो पता चला कि पीएम

मोदी की एक निजी टीम है, जो काफी रिसर्च के बाद ही ऐसे ‘एक्रोनिम्स’ गढ़ती है।

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पीएम मोदी की टीम –
1)-जगदीश ठक्कर, जो पीएम के PRO हैं। मोदी जब सीएम थे, तब भी ठक्कर उनके PRO थे। ठक्कर मोदी के अत्यंत नजदीकी और भरोसेमंद लोगो में शुमार हैं।

2)-यश गांधी और नीरव के. शाह, ये दोनों गुजराती हैं और PMO में रिसर्च ऑफिसर हैं। यश गांधी और नीरव के शाह PM के भाषणों से लेकर सभी विषयों पर रिसर्च इनपुट मुहैया कराते हैं। PM के ट्विटर और फेसबुक को यही दोनों देखते हैं।

3)-हिरेन जोशी (OSD -IT), पहले मीडियाकर्मी थे। अभी पीएम मोदी की कोर टीम में हैंं। हिरेन जोशी पीएम को ऐसे बिंदु देते हैं, जो जनता से जुड़े होते हैं और सुर्खियां बटोरते हैं।

4)-प्रतीक दोषी (OSD-रिसर्च एंड स्ट्रैटजी), नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर से पढ़े हैं। वर्ष 2007 में मोदी से जुड़े। प्रतीक मोदी सरकार के स्ट्रैटजिक इनिशिएटिव के लिये काम करते हैं। दोषी मोदी के भाषणों के लिये रिसर्च भी करते हैं।

पीएम के मशहूर जुमले
GST-गुड एंड सिंपल टैक्स और ग्रोइंग स्ट्रॉन्गर टुगेदर कहा।

SCAM-उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान सपा, कांग्रेस, अखिलेश यादव और मायावती के नामों के पहले अक्षर को मिला कर ‘स्कैम’ यानी घोटाला शब्द गढ़ा।

BHIM-भारत इंटरफेस फॉर मनी। डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिये डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर बना एप।

VIKAS-उत्तर प्रदेश के चुनाव में ही मोदी ने ‘विद्युत, कानून और सड़क’ को मिलाकर ‘विकास’ बना दिया।

ABCD-कांग्रेस पर तंज कसने के लिये आदर्श, बोफोर्स, कोयला और दामाद शब्द को मिलाकर ‘एबीसीडी’ का ककहरा समझाया।

मोदी सामने देख बोल रहे हों तो समझ लीजिए वह बिना पढ़े भाषण दे रहे है

पीएम मोदी हर लिखे बिंदु को भाषण में बोलेंगे, ऐसा जरूरी नहीं है। उनके साथ टीम में काम करने का अनुभव साझा करने वाले एक युवा पेशेवर बताते हैं, “पीएम जब सामने देखकर बोल रहे हों तो समझ लीजिए कि वह बिना पढ़े भाषण दे रहे हैं। उनके दाएं-बाएं देखने का मतलब कि वह टेलीप्रॉम्पटर पर देखकर भाषण दे रहे हैं।”

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