ऐ कलम जरा रुक रुक कर चल,
क्या गजब का मुकाम आया हैं।
थोड़ी देर ठहर जा उसे दर्द ना हो,
तेरी नोंक के नीचे उसका नाम आया हैं।
तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा
..तुझसे प्यार किया हे कोई गुनाह नही,
जो तुझसे दूर होकर खुद को सजा दूँगा।
ज़िंदा हैं तो बस ❝ तेरे ❞ इश्क़ के रहमो-करम पर,
मर गए तो समझ लेना तेरी ❝ बेवफ़ाई ❞ में दम था..!!जिसमे नुकसान*
*सहने की ताकत हो*
*वही मुनाफा कमा सकता है.**फिर चाहे वो*
*कारोबार हो या रिश्ते..*