लखनऊ।। भाजपा सांसद अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर है। सांसद ने आज लखनऊ में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली साध्वी सावित्री बाई फुले उत्तर प्रदेश के बहराइच से सांसद हैं। सावित्री बाई फुले ने सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया। केन्द्र की भाजपा सरकार की दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ आज लखनऊ ‘काशीराम स्मृति उपवन’ में ‘भारतीय संविधान व आरक्षण बचाओ महारैली’ का आयोजन किया।
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सांसद साध्वी सावित्री बाई फूले ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी ही पार्टी और सरकार से बगावती तेवर दिखा दिया है। उन्होंने कहा कि ‘संविधान और आरक्षण’ खतरे में है । मैं सांसद रहूं या ना रहूं लेकिन ‘संविधान’ के साथ छेड़छाड़ नहीं होने दूंगी। सांसद सावित्री फुले ने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन केंद्र सरकार पर खूब हमले बोले। उन्होंने कहा, कत्ल होने से आखिर कहां तक डरूं, कातिलों के मोहल्ले में घर ले लिया।
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यह सवाल पूछे जाने पर कि आप बीजेपी की सांसद हैं और अब क्या बीजेपी छोड़ेंगी। साध्वी ने कहा कि मैं भारत की सांसद हूँ और जब-तक मेरा कार्यकाल है तब तक मैं सांसद रहूंगी। लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में आज प्रदर्शन के दौरान सावित्री बाई फुले ने कहा कि हम आरक्षण की मांग कर रहे हैं। यह कोई भीख नहीं है। भारतीय संविधान आरक्षण बचाओ रैली में उन्होंने डॉ भीमराव आंबेडकर और बीएसपी के संस्थापक कांशीराम की मूर्ति पर पुष्प अर्पित किया।
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए बीजेपी सांसद ने कहा कि ‘आरक्षण कोई भीख नहीं बल्कि प्रतिनिधित्व का मामला है। यदि शासक वर्ग ने भारत के संविधान को बदलने और हमारे आरक्षण को खत्म करने का दुस्साहस किया तो भारत की धरती पर खून की नदियां बहेंगी। यह हमारे बाबा साहेब का दिया अधिकार है किसी और के बाप,दादा या भगवान का नहीं।
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बीजेपी सांसद ने कहा कि इस रैली में प्रदेश के प्रत्येक जिले व गांव-शहर से बड़ी तादाद में बहुजन मूलनिवासी समाज के महिला-पुरुष शामिल हुए हैं। महारैली में बहुजन मूल-निवासी समाज के लोग तथा नेतागण एवं संगठनों के लोग सादर आमंत्रित हैं। बता दें कि फुले ने इससे पहले भी अपनी सरकार व पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधते हुये कहा था कि केंद्र सरकार आरक्षण खत्म करने की साजिश कर रही है।
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सावित्री बाई ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण एससी-एसटी, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक खतरे में हैं। भारतीय संविधान और आरक्षण भी खतरे में आ गया है। सांसद ने अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा था। इसमें प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण जैसी व्यवस्था की मांग है। सांसद सावित्री बाई फुले ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का नाम बदलकर भीमराव रामजी आंबेडकर करने के प्रदेश की योगी सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई थी।
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