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लखनऊ।। मुजफ्फरनगर दंगों में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में बीजेपी नेताओं

के खिलाफ दर्ज मुकदमों को यूपी की योगी सरकार वापस लेने की तैयारी में है। इस

संबंध में राज्य सरकार ने जिला प्रशासन से बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज हुये 9

मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है और साथ ही, यह भी पूछा है कि क्या ये मुकदमें

वापस लिये जा सकते हैं अथवा नहीं।

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विशेष सचिव न्याय, राज सिंह ने जिला प्रशासन को एक पत्र भेजा है, जिसमें

उन्होंने बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज 9 मुकदमों की वर्तमान स्थिति की

स्टेटस रिपोर्ट मांगी है और साथ ही, यह भी पूछा गया है कि क्या ये मुकदमे

वापस लिये जा सकते हैं। हालाँकि प्रशासनिक अधिकारी शासन का इस

सम्बन्ध में कोई पत्र आने से इंकार कर रहे हैं। SDM प्रशासन हरीशचंद

का कहना है कि उन्हें अभी तक शासन से ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है और

मिलेगा तो उसका जवाब दिया जायेगा।

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वहीं, जिला शासकीय अधिवक्ता दुष्यंत त्यागी ने उक्त सम्बन्ध में शासन

का पत्र मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि शासन ने दंगों के संबंध में

दर्ज सभी मुकदमों के बारे में जानकारी मांगी है। न्यायिक अधिकारियों से

विचार-विमर्श करने के बाद जवाब जिला प्रशासन के माध्यम से भेजा जायेगा।

इसके अतिरिक्त बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक के खिलाफ भी 7 मुकदमे शाहपुर

और फुगाना थानों में दर्ज हैं।

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तत्कालीन समाजवादी सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन ने सिखेड़ा थाने पर

पंचायतों में भाग लेने वाले बीजेपी नेताओं जिसमें थाना भवन के विधायक एवं

राज्यमंत्री सुरेश राणा, सरधना विधायक संगीत सोम, पूर्व मंत्री एवं सांसद डॉ

संजीव बालियान, बिजनौर सांसद भारतेंद्र सिंह, विधायक उमेश मलिक, साध्वी

प्राची, पूर्व प्रमुख वीरेंद्र सिंह, श्यामपाल चेयरमैन, जयप्रकाश शास्त्री, राजेश्वर

आर्य, मोनू और सचिन आदि के खिलाफ पाबंदी के बावजूद पंचायत करने, भड़काऊ

भाषण देने के आरोप में दो मुकदमे दर्ज कराये गये थे, जो इस समय में न्यायालय

में विचाराधीन हैं।

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27 अगस्त, 2013 को जानसठ थाना-क्षेत्र के ग्राम-कवाल में शाहनवाज की मौत

के बाद मलिकपुरा के ममेरे भाई सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी। वहां,

घटना के अगले दिन इलाके में आगजनी भी हुई थी। जिसके विरोध में मुस्लिमों ने

शहर के खालापार में एकत्र होकर तत्कालीन DM और SSP को ज्ञापन दिया था।

इसके विरोध में हिंदू संगठनों ने 31 अगस्त, 2013 को नंगला मंदौड़ में एक पंचायत

की थी। बाद में 7 सितंबर, 2013 को नंगला मंदौड़ में फिर से महापंचायत हुई।

महापंचायत खत्म होने के बाद जिले में दंगा भड़क गया था।

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