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यूपी किरण ब्यूरो
लखनऊ।। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज सुबह 11 बजे बिहार विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेंगे नीतीश ने सरकार बनाने का दावा पेश करते समय 132 विधायकों के समर्थन का पत्र दिया था। अब नीतीश को सदन में इन विधायकों का समर्थन हासिल करके अपना बहुमत साबित करना है।
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बिहार विधानसभा के गणित पर नज़र डालें तो कुल विधायकों की संख्या 243 है. इस हिसाब से बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 होता है। सदन में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के विधायकों की संख्या 71 है, जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी विधायकों की तादाद 61 बताई जा रही है।
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इस तरह से यदि देखा जाये तो नीतीश कुमार के पास 132 विधायकों का समर्थन है लेकिन जेडीयू में भाजपा से हाथ मिलाने के खिलाफ यदि कोई बगावत हुई तो सदन में बहुमत साबित करने में अड़चनें आ सकती हैं।
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दूसरी तरफ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद रातों-रात विपक्ष में धकेल दिए गए लालू यादव की पार्टी आरजेडी के पास 80 विधायक हैं। लालू का साथ दे रही कांग्रेस के विधानसभा में 27 सदस्य है। इन दोनों का आंकड़ा 107 पर पहुंचता है।
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नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से कल छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। जिसके बाद उन्होंने बिहार को तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाने का वादा भी किया।
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नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘हमने जो भी फैसला किया है वह बिहार और इसकी जनता के पक्ष में होगा. यह विकास और न्याय सुनिश्चित करेगा। यह प्रगति सुनिश्चित करेगा। यह सामूहिक निर्णय है। मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि हमारी प्रतिबद्धता बिहार की जनता के प्रति है। ’’
नीतीश कुमार बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और लालू यादव के साथ महागठबंधन को तोड़ने के बाद जब देर रात बीजेपी का दामन थामकर राज्यपाल के पास पहुंचे थे तो उन्होंने दोबारा सीएम की कुर्सी हथियाने के लिए 132 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी थी।
विधानसभा के भीतर 132 विधायकों के समर्थन का दावा अगर सही साबित हुआ तो नीतीश और बीजेपी की नवेली गठबंधन सरकार अपने नए जीवन की पहली परीक्षा पास कर लेगी।
लेकिन लालू यादव के बयान बता रहे हैं कि नीतीश-बीजेपी गठजोड़ को आने वाले दिनों में कुछ और इम्तिहान भी देने पड़ सकते हैं। लालू इस गठबंधन को नापाक बताते हुए कोर्ट में घसीटने की धमकी दे रहे हैं।
नीतीश-बीजेपी गठबंधन के सामने एक चुनौती अंदरूनी असंतोष से निपटने की भी होगी। जेडीयू में पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और सांसद अली अनवर जैसे वरिष्ठ नेता बीजेपी से गले मिलने को तैयार नहीं हैं।
हालांकि नीतीश के लिए राहत की बात ये है कि ऐसे बगावती सुर उन नेताओं के हैं, जो संसद के मोर्चे पर ज्यादा सक्रिय हैं। बिहार के किसी विधायक की तरफ से ऐसे असंतोष की बात अब तक खुलकर सामने नहीं आई है।
सदन में नई सरकार के विश्वासमत का मजबूती से विरोध किया जाएगा और विधानसभा अध्यक्ष से गुप्त मतदान की मांग की जाएगी।
फोटोः फाइल
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