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यूपी किरण ब्यूरो

उत्तर प्रदेश।। यूपी में पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरकारी अस्पतालों का औचक नीरिक्षण किया था और विभागों को तलब भी किया था, लेकिन ये खबर यूपी के अस्पतालों की हालिया स्थिति बयां करती है।

हाथरस के जिला अस्पताल में एक शख्स का शव 18 घंटे तक यूं ही पड़ा रहा लेकिन उसे कफन तक नहीं मिला। बेटे ने जिला अस्पताल में लोगों से चन्दा इकट्ठा कर कफ़न का इंतजाम किया।

तब जाकर उसे सुपूर्द के खाक किया गया। शव को जिला अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस तक शव को ले जाने के लिए बेटे ने खुद ई-रिक्शा का इंतजाम किया। बाद में सरकारी वाहन से उसके शव को घर तक पहुंचाया।

सिकंदरा राऊ के मोहल्ला शीशगर के रहने वाले असगर की शनिवार शाम को पंत चौराहा की ओर से पैदल जा रहे थे तभी एटा की ओर से आ रहे एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गए। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

जिला अस्पताल प्रशासन ने उसके शव को पोस्टमार्टम की कहकर रखवा लिया, लेकिन रात भर शव अस्पताल में रखा रहा। सुबह सिकन्दरा राऊ पुलिस जब हाथरस पहुंची तो शव को पोस्टमार्टम तक ले जाने की जिम्मेदारी भी मृतक के बेटे पर छोड़ दी।

माली हालत के चलते बेटा ई-रिक्शा लेकर आया और शव को पोस्टमार्टम गृह पहुंचाया। जब मीडिया कर्मियों की इस पर नजर पड़ी तो अस्पताल प्रशासन ने आनन-फानन में सरकारी वाहन की व्यवस्था की और पोस्टमार्टम गृह से देर शाम शव को घर पहुंचाया।

मृतक असगर बेहद गरीब था। वह मूलरूप से कासगंज के बटुनगर का रहने वाला था। कई साल पहले वह सिकंदरा राऊ आकर रिक्शा चलाने लगा। उसके परिवार में पत्नी के अलावा आठ बच्चे हैं।

फोटोः फाइल

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