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लगभग दो वर्ष पूर्व शुरू की गई गोमती रिवरफ्रण्ट परियोजना
पर अभी तक 60 फीसदी से भी कम काम हो पाया: सीएम

परियोजना को ‘नमामी गंगे’ परियोजना से जोड़कर गोमती नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बन्द करने की दिशा में काम किया जाए

लखनऊ ।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां गोमती रिवरफ्रण्ट विकास परियोजना का निरीक्षण किया। उन्होंने परियोजना की प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग दो वर्ष पूर्व शुरू की गई इस परियोजना पर अभी तक 60 फीसदी से भी कम काम हो पाया है, जबकि परियोजना को मई, 2017 में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

इस परियोजना के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये के सापेक्ष 1433 करोड़ रुपये कार्यदायी संस्था को मिल चुके हैं, जिसके सापेक्ष करीब 1427 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं। अब विभाग द्वारा इस परियोजना को पूरा करने के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति एवं इसकी उपादेयता के प्रति असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी परियोजनाओं का वास्तविक उद्देश्य नदी के पानी को स्वच्छ करना एवं नगर के उन गन्दे नालों को बन्द करना होना चाहिए था, जो गोमती नदी में गिर रहे हैं। उन्होंने गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी बताते हुए कहा कि इस परियोजना को ‘नमामी गंगे’ परियोजना से जोड़कर नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बन्द करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे नदी की अविरलता बनाये रखने एवं पानी को शुद्ध करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

योगी ने कहा कि परियोजना को पूरी तरह से कार्य करने वाली संस्था/ठेकेदार पर छोड़ दिया गया, जिससे उन लोगों ने पहले परियोजना के अनोपयोगी मदो पर धनराशि खर्च करने का काम किया। जबकि गन्दे नाले को टैप करने के लिए दोनों तरफ बनाए जा रहे इण्टर सेप्टिक ड्रेन का काम अधूरा छोड़ दिया। उन्होंने निर्देशित किया कि सबसे पहले गन्दे नालों को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम मई, 2017 तक पूरा कराया जाए। इसके साथ ही, दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वाल को कलाकोठी तक बढ़ाया जाए। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि इस परियोजना से सम्बन्धित प्रमुख सचिव अपने स्तर पर एक सप्ताह में समीक्षा करते हुए इस पर आने वाले वास्तविक व्यय के सम्बन्ध में अपना अभिमत प्रस्तुत करें। इसी प्रकार अन्य विभागों के प्रमुख सचिव भी अपने-अपने विभागों से सम्बन्धित विभिन्न संचालित परियोजनाओं की एक सप्ताह में समीक्षा करके अनावश्यक व्यय को तत्काल रोकने का काम करें।

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