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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ।। लखनऊ के कई अस्पतालों में मरीजो की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा। कहीं परचून की दुकान जितनी जगह में मरीजों का इलाज हो रहा है तो कहीं गली में मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

शहर में कई निजी अस्पताल दुकानभर की जगह में चल रहे हैं। सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं है। सिर्फ मरीजों से फीस के रूप में मोटी रकम वसूलकर उनका झोलाछाप इलाज किया जा रहा है।

चौक में चल रहे राहत हॉस्पिटल एण्ड ट्रॉमा केयर की ICU में दो बेड पर वेंटिलेटर पर मरीज भर्ती थे। टूटे वेंटिलेटर को जुगाड़ से चलाया जा रहा था। पाइप को सहारा देने के लिए बैंडेज से बांधा गया था।

हरदोई रोड पर तहसीनगंज की एक गली में बेसमेंट में स्टार हॉस्पिटल चल रहा है। मेन गेट पर हॉस्पिटल का बोर्ड तक नहीं है। 6 बेड की आईसीयू में दो मरीज भर्ती मिले। इनकी देखभाल के लिए एक आदमी बैठा था। पूछने पर उसने खुद को डॉक्टर बताया। उसने एप्रेन तक नहीं पहना था।

आसपास के लोगों ने बताया कि वह डॉक्टर नहीं कर्मचारी है। जनरल वॉर्ड में बेड टूटे और जर्जर थे। हॉस्पिटल में कोई प्रशिक्षित डॉक्टर या नर्स नहीं दिखा। माइनर ओटी और लेबर रूम एक ही में था। डॉक्टर के नाम की लिस्ट भी नहीं थी।

चौक मंडी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस कॉम्प्लेस की पहली मंजिल पर तीन दुकानों में राहत हॉस्पिटल ऐंड ट्रॉमा केयर नाम से निजी अस्पताल चल रहा है। एक दुकान में दो बेड का इमरजेंसी वॉर्ड है और दूसरी में छह बेड की आईसीयू और NICU। ICU में सभी बेड फुल थे।

दो बेड पर मरीज वेंटिलेटर पर थे, लेकिन वेंटिलेटर टूटा था। यहां पट्टी से वेंटिलेटर बांधकर इलाज किया जा रहा है। इसका एक दिन का चार्ज 5000 रुपये बताया गया। ICU में पांच कर्मचारी थे। इस बीच एक डॉक्टर आए। पूछने पर पता चला कि बीयूएमएस डॉ. आलम हैं।

फोटोः फाइल

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