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लखनऊ ।। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विकास निगम लिमिटेड (यूपीएसआईडीसी) के घोटालेबाज अफसरों में हड़कंप है। विभाग के नए एमडी रणवीर प्रसाद के आने के बाद वो अधिकारी सबसे ज्यादा परेशान हैं जो विभाग को कमाई का अड्डा बना दिए थे। यूपी के कई क्षेत्रिय कार्यालयों में जो अधिकारी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर पर्दा डाल रहे थे, यदि उसकी जांच हुई तो उनका जेल जाना तय है।

हिन्दी दैनिक अखबार यूपी किरण के डिजिटल वेंचर यूपी किरण डॉट ओआरजी को मिली जानकारी के मुताबिक, यूपी एसआईडीसी में बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर सरकार को चूना लगाने के लिए स्टॉम्प घोटाला किया गया है। यह घोटाला सैकड़ों करोड़ रुपए से अधिक का हो सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, कानपुर के इंडस्ट्रियल एरिया जैनपुर के ग्रोथ सेंटर में तत्कालीन क्षेत्रिय प्रबंधक (आरएम) आरएस पाठक और बाबू स्वराज श्रीवास्तव ने मिलकर वर्ष 12-13 व 13-14 में ग्रोथ सेंटर के आवंटियों को गुमराह कर लाखों रुपए की ठगी की। यदि इस मामले में जांच हुई, तो दर्जनों वर्तमान और रिटायर हो चुके अधिकारी जेल जा सकते हैं और विभाग का सैकड़ों करोड़ रुपए की लूट का खुलासा भी होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलान किया था कि पिछली सरकार में भ्रष्टाचार में लिप्त रहे अधिकारियों की जगह जेल होगी, सूत्रों के मुताबिक ये अधिकारी अब अपने बचने का रास्ता तलाश रहे हैं। चुपके-चुपके स्टाम्प घोटाले की रकम जमा की जा रही है। इस रकम को बाद में जमा क्यों करवाया जा रहा है, इसकी हकीकत सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप है। एमडी को इसकी जानकारी न हो इस लिए पूरा मामला गोपनीय रखा जा रहा है।

क्या है मामला
नियमानुसार प्रथम आवंटी को निगम दर पर ही रजिस्ट्री किए जाने का प्राविधान है, लेकिन शासनादेश की अनदेखी करते हुए, प्रथम आवंटी के भूखंड को अन्य हस्तांरियों को निगम दर पर रजिस्ट्रियां करवाई गई।

हालांकि इस मामले में निबंधन कार्यालय अकबरपुर/जैनपुर में कुछ रजिस्ट्रियों में वसूली कर ली है, लेकिन अभी भी कई आवंटियों से वसूली की जानी बाकी है। इसकी पुष्टि निबंधन कार्यालय अकबरपुर-कानपुर देहात के अधिकारियों ने की है, हालांकि उन्होंने नाम न छापने की बात कही है। आवंटियों को निगम दर पर रजिस्ट्री का लालच देकर मोटी रकम वसूली गई है। इस मामले में कई खुलासे होने अभी बाकी हैं।

इस संबंध में वर्तमान आरएम राकेश झा से बात करने की कोशिश की गई, तो उनका फोन नाट रिचबल था। 

इसके पहले करोड़ों रुपए का स्टांप घोटाला हो चुका है। मामले की सीबीसीआईडी जांच हुई थी, जिसकी हकीकत सामने आने के पहले ही दबा दी गई।

फोटोः फाइल।

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