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लखनऊ ।। शादी एक संस्कार है कोई अनुबंध नहीं, जो एक के साथ करें और दूसरे को छोड़ दें। पहली पत्नी के रहते, दूसरी शादी गैरकानूनी है। ऐसे में पति व उसकी पहली पत्नी की मौत के बाद दूसरी पत्नी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं मिल सकती।

हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में यह साफ किया है। महिला ने पति की मौत के बाद नौकरी देने का आग्रह किया था। अदालत ने महिला की याचिका रद कर दी। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की अदालत में याची महिला ने बताया था कि उसका पति उत्तर पूर्वी दिल्ली स्थित जीटीबी अस्पताल में सफाई कर्मचारी था। याची ने पति की मौत के बाद उसकी जगह अनुकंपा पर नौकरी व अन्य सुविधाएं मांगी थीं।

अस्पताल द्वारा याची की शादी की वैधता पूछने पर महिला ने दस्तावेज पेश करते हुए बताया कि उनके पति की फरवरी 1997 में मौत हुई थी। इससे पूर्व उनके पति की पहली पत्नी की मई 1994 में मौत हो चुकी है। ऐसे में अब वह ही नौकरी की हकदार है, लेकिन अस्पताल ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। चिकित्सा अधीक्षक के अनुसार उनके पति ने दस्तावेजों में अपनी पहली पत्नी व उससे हुई बेटी का नाम दर्ज करा रखा है।

अदालत में सामने आया कि याची ने पहले अपने पति से जून 1990 में शादी की फिर पति की पहली पत्नी की मौत के बाद दोबारा जून 1994 में शादी की। यह दोनों शादियां दिल्ली में हुई। इसके बाद तीसरी बार उसने उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद के गांव महाबलपुर में ग्राम पंचायत के समक्ष दिसंबर 1994 में शादी की। अदालत ने कहा कि महिला ने अपनी शादी के बारे में गलत जानकारी दी।

हॉस्पिटल का यह भी कहना था कि जब महिला ने पहली बार शादी करने का दावा किया है, उस समय उसके पति की पहली पत्नी जीवित थी। वहीं, ग्राम पंचायत द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट में जून 1990 की तिथि है। इसके अलावा दूसरी व तीसरी बार हुई शादी का कोई सुबूत नहीं है। महिला अपने पति के साथ पति-पत्नी के रूप में रह रहीं थी, इसका कोई साक्ष्य नहीं है। वहीं, याची का तर्क था कि जब उसने पहली बार पति से शादी की तो उसे पता नहीं था कि वह शादीशुदा है और उसकी पहली पत्नी जीवित है।

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