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लखनऊ ।। ग्रीन गैस लिमिडेट में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। कंपनी की हालत यह है कि यहां काम करने के लिए जो कंपनियां नामित होती हैं वह काम कर ही नहीं पातीं, काम अधिकारियों के रिश्तेदारों और संबंधियों को दे दिए जाते हैं।

इसका खुलासा तब हुआ जब परियोजना प्रबंधक हिमांशु पांडे के रिश्तेदारों की फर्मों को बैक टू बैक काम दे दिया गया। जबकि गैस की पाइप लाइन बिछाने का काम एनओपीएस और सुमित गैस सर्विस को करने के लिए नामित किया गया।

विभाग के जानकार बताते हैं कि ग्रीन गैस लिमिटेड के एमडी जिलेदार सिंह और परियोजना प्रबंधक हिमांशु पांडे की सांठगांठ से यह काम दूसरी कंपनियों को दिया गया है।
यह बात भी सामने आ रही है कि हिमांशु पांडे ने अपने ही ससुर शुभ लक्ष्मी और एक अन्य रिश्तेदार प्रवीण शुक्ला की फर्म को काम अवैध तरीके से दिलवा कर ग्रीन गैस लिमिटेड को करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया है।

शुभ लक्ष्मी और और प्रवीण शुक्ला की फर्म को काम दिलवाने का काम खुद एमडी जिलेदार सिंह और परियोजना प्रबंधक की निगरानी में हुआ है। इस संबंध में गेल के सीएमडी बीसी तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ग्रीन गैस एक प्रइवेट संस्था है। और उसके रूल रेगुलेशन के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।

पूरा मामला यहां पर और गोलमोल प्रतीत होता है जब गेल के सीएमडी ही इसे प्राइवेट संस्था बता रहे हैं, वहीं पर जब ग्रीन गैस लिमिडेट में कार्यरत अफसर एसआर राय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ग्रीन गैस लिमिडेट एक सरकारी संस्था है।

अब सवाल ये उठता है कि गेल जैसी कंपनियों में रोड कटिंग समेत कई कार्यों को लेकर अरबों रुपए का घोटाला हो रहा है तो इसके मंत्री धमेंद्र प्रधान क्यों सो रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि अधिकारी और नेता मिलकर इसकी बंदरबांट कर रहे हों।

फोटोः बाएं सीएमडी और दाएं एमडी।

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