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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ।। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय विपक्षी दल अपने सदस्यों को लेकर सशंकित नजर आ रहे हैं। भाजपा पर आरोप है की वो विपक्षी दलों के सदस्यों को खरीद कर जैसे-तैसे सदन में पहुँचाया जाये।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी उच्च सदन यानी विधान परिषद का रास्ता अपना सकते हैं। विपक्ष की दो और सीटों में सेंधमारी कर अपने पक्ष में करने की रणनीति के तहत भाजपा अपने मिशन में जुटी है।

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इसके लिए सपा-बीएसपी-कांग्रेस के कुछ एमएलसी से बातचीत भी हो रही है। इसी महीने कुछ और बड़ा हो सकता है।

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बीजेपी के निशाने पर सपा के दो एमएलसी हैं। एक ब्राह्मण और एक महिला एमएलसी से बातचीत अंतिम दौर में है। ये एमएलसी शिवपाल यादव और सपा मुखिया के करीबी हैं। उन्होंने ही इन्हें एमएलसी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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इसके साथ ही कांग्रेस के एक और बीएसपी के एक एमएलसी को लेकर भी बातचीत चल रही है। हालांकि कुछ एमएलए भी बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा के साथ मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।

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छह महीने में ही इन सभी को किसी न किसी सदन का सदस्य होना जरूरी है। 19 सितंबर को यह मियाद पूरी हो रही है। इससे पहले ही खाली सीटों की अधिसूचना होना जरूरी है और पांचों को किसी न किसी सदन का सदस्य होना जरूरी है।

कहा जा रहा है कि उपराष्ट्रपति चुनाव खत्म होने के बाद इसी हफ्ते चुनाव को लेकर अधिसूचना हो सकती है। केशव और योगी उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट देने के बाद ही सांसदी से इस्तीफा दे सकते हैं।

फोटोः फाइल

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