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लखनऊ ।। बसपा सुप्रीमो मायावती बुधवार को जब पूरे देश के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को लेकर लखनऊ पार्टी मुख्यालय पर बैठक कर रहीं थीं, तो उनके नेता ही उनकी बातों को मानने को तैयार नहीं थे। मायावती ने कहा कि सोशल मीडिया धन्नासेठों की है, तो पार्टी के नेता सन्न रह गए। नेताओं का कहना था कि जिसने पूरे देश के हर बच्चे को अपनी बात रखने का सबसे सस्ता हथियार दिया उसे ही मायावती ने धन्नासेठों की मीडिया बता दिया। यही नहीं मायावती के ईवीएम स्कैम की स्टोरी पर भी उनके आधे विधायक राजी नहीं है। हालांकि उन्होंने नाम न लिखे जाने का अनुरोध भी किया है।

मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं से बात करने को लेकर जब बैठक शुरू की तो सबसे पहले उन्होंने कांशीराम के संघर्षों की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि कांशीराम ने बहुत संघर्ष किया था। वह पंजाब में पार्टी के एक भी सीट न मिलने से वर्ष 2002 में टूट गए थे, लेकिन मैं टूटने वाली नहीं हूं। पार्टी को खड़ा करने के लिए संघर्ष होगा।

मायावती ने बैठक में यह भी कहा कि वर्ष 2002 में कांशीराम के यूपी में प्रचार न करने पर भी उन्होंने 98 सीटें जीती थीं, उस समय मुसलमानों ने, अति पिछड़ों ने उनका साथ नहीं दिया था। फिर भी पार्टी को 98 सीट मिली थी, ऐसे में अब जब सभी जातियां बसपा को वोट कर रही हैं, फिर भी बसपा की सीट 19 नहीं आ सकती। मायावती ने सभी जिला मुख्यालयों पर हर महीने की 11 तारीख को धरना दिए जाने का हुक्म दिया है। पार्टी के नेता सुप्रीमों के इस फरमाने से भी हैरान और परेशान हैं।

यही नहीं, मायावती ने अखबारों पर भी ठीकरा फोड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि अखबारों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।

फोटोः फाइल।

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