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लखनऊ।। विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी सुप्रीमो मायावती की ओर से लखनऊ के अम्बेडकर स्मारक में करोड़ों रुपये खर्च करके जयपुरी पत्थरों से बनाए गए छोटे-बड़े हाथियों को चुनाव आयोग के आदेश के बाद ढक दिया गया था। इस फैसले के पीछे आयोग का तर्क था हाथी बीएसपी का चुनान निशान है, इससे मतदाताओं पर असर पड़ेगा।

हाथी के साथ बीएसपी सुप्रीमो मायावती की मूर्ति को भी ढक दिया गया था। हालांकि इस फैसले के खिलाफ बीएसपी महासचिव सतीश मिश्र का तर्क था कि मायावती की मूर्ति और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी को ढकने का आयोग का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 के नैसर्गिक न्याय का खुला उल्लंघन है, लेकिन इस बार मायावती की मूर्ति और हाथियों को ढकने का मामला गायब है।

मतदाता अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले एक संगठन ने आयोग को खत भेजकर सवाल पूछा है कि 2012 में मायावती की जो मूर्तियां और पत्थर के हाथी मतदाताओं को प्रभावित कर रहे थे, क्या वह इस चुनाव में नहीं कर रहे हैं। आयोग को निशाने पर लेते हुए इस संगठन ने आयोग के दोहरे फैसले के पीछे किसका हाथ और किसका साथ है, का सवाल भी खड़ा किया है।

चर्चा है कि अब बीएसपी विरोधी इस मसले को तूल देकर एक बार फिर करोड़ों की लागत से बने स्मारक और मायावती की मूर्तियों का मामला उठाकर अपना उल्लू सीधा करने की जुगत में लग गए हैं। इस बारे में आयोग का फैसला देखना दिलचस्प होगा।

फोटोः फाइल।

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