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लखनऊ ।। सीएम योगी आदित्यनाथ हर मंत्री और अधिकारी को ईमानदारी और मेहनत का पाठ पढ़ा रहे हैं, लेकिन न तो उनके मंत्री उन्हें सुन रहे हैं और न ही अधिकारी। मंत्री तो अधिकारियों के भ्रष्टाचार की फाइलों को भी रोकने लगे हैं। वह भ्रष्ट अधिकारियों को ही आगे कर माल कमाई का धंधा शुरू कर रहे हैं।

ताजा मामला ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का है। इस विभाग के मंत्री हैं राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह। इंजीनियर आरपी सिंह आरइएस में निदेशक के पद पर रह चुके हैं। हालांकि बाद में भ्रष्टाचार के आरोप में वह निलंबित हो गए थे। इंजीनियर आरपी सिंह पर अब मंत्री मोती सिंह मेहरबान हैं। मंत्री की वजह से इस भ्रष्ट इंजीनियर पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

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पुख्ता रिपोर्ट के मुताबिक, इस इंजीनियर पर भ्रष्टाचार के कई मामलों की फाइलें शासन स्तर पर कार्रवाई के लिए लंबित हैं। इसे हर स्तर पर अब रोका जा रहा है। ये मामले इस तरह के हैं कि अधिकारी बर्खास्त हो सकता है।

जिन मामलों की फाइलें लंबित हैं, उनमें एक मामला जनपद श्रावस्ती का है। यह मामला बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत आरसीसी पुलिया के निर्माण से संबंधित है। बताया जाता है इस पुलिया के निर्माण में सारे मानकों को दरकिनार करते हुए भारी धांधली की गयी है।

सूत्रों की मानें तो इस पुल का विस्तृत स्टीमेट बनाने में भी घोर लापरवाही बरती गयी। यहां तक की पुल के कार्यस्थल का मृदा परीक्षण और स्ट्रक्चरल डिजाइन तक नहीं किया गया।

आपको बताते चलें कि जनपद श्रावस्ती में विकास खंड सिरसिया के ग्राम गुलरा से पड़वालिया जाने वाले मार्ग पर स्थित भैंसाही नाले पर 25 वर्ग मीटर स्पान पुल का निर्माण होना था। इसके लिए बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट योजना के तहत वर्ष 2012 में 93.07 लाख रुपया शासन द्वारा स्वीकृत किया गया था, लेकिन ये पुलिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।

बताया जाता है ये पुलिया पहली बारिश ही बर्दाश्त नहीं कर पायी और बह गयी। इस पर शिकायत हुई और शासन ने जांच के आदेश भी दे दिए। इस प्रकरण की जांच जिलाधिकारी श्रावस्ती ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित की। जांच कमेटी ने अपनी जांच में पाया कि पुल के निर्माण में आवश्यक सभी मदों को सम्मिलित नहीं किया गया, फलस्वरूप इसमें जगह-जगह क्रेक आ गया और परिणाम स्वरूप शासन को 93.07 लाख की क्षति हुई।

इसी तरह से शिवपुर नाले पर ककरदरी के निकट बरगदहा गांव में 15 वर्ग मीटर स्पान की पुलिया के निर्माण में भी अनुबंध गठन कार्यस्थल का बिना परीक्षण किये और बिना हाईड्रोलिक सर्वे -कैचमेंट एरिया का आंकलन किया गया। आवश्यकता से काफी कम लंबाई की आरसीसी पुलिया के निर्माण का अनुबंध गठित हो गया, जिसके कारण ये पुलिया पहली बरसात की बाढ़ के समय ही बह गयी।

इस तरह से देखा जाये तो 1 करोड़ 87 लाख से अधिक की शासकीय क्षति सामने आयी है। इस पूरे मामले की जांच चल रही है, लेकिन इस जांच को अब योगी सरकार के ही मंत्री भटका रहे हैं।

फोटोः फाइल

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