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लखनऊ ।। यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा का उनके समाज के लोगों ने ही साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। इसका नजारा बसपा और सपा-कांग्रेस की रैलियों में दिख रहा है। पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष होने के बाद भी विश्वकर्मा समाज राम आसरे को अपना नेता मानने से अब गुरेज कर रहा है।  

हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है। इसके संकेत तो पहले से ही मिलने लगे थे। कई मायावती की कई जनसभाओं में विश्वकर्मा समाज के लोगों ने भारी संख्या में पहुंचकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे, लेकिन अब गाजियाबाद, हापुड़ की सभी विधान सभाओं एवं नोएडा विधान सभा की संयुक्त गाजियाबाद की रैली में विश्वकर्मा समाज के लोगों ने इससे भी अधिक संख्या में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

हजारों लोगों का नेतृत्व कर रहे बसपा के मेरठ मंडल कॉर्डिनेटर विजय विश्वकर्मा कहते हैं कि भागीदारी चाहिए, चापलूसी नहीं। समाज समझदारी से चलता है, सम्मान के साथ लोग रहना चाहते हैं। अब सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई को विश्वकर्मा समाज खुद लड़ेगा। ठेकेदार को नेता नहीं मानेगा। हमें गोलबंदी नहीं करनी है, बल्कि सही मुद्दों पर सभी को एकजुट करना है। वह काम हम कर रहे हैं।

विजय आगे बताते हैं कि लोनी, साहिबाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादनगर, मोदीनगर, धौलाना के विधान सभा अध्यक्ष बसों, ट्रैक्टर-ट्राली, टेम्पो, बाइक आदि से विश्वकर्मा समाज के 2000 कार्यकर्ता यहां आए हैं। यह संख्या बढ़ेगी। हमारा अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है। लोग इससे समझ रहे हैं। हालांकि उन्होंने विश्वकर्मा समाज को ठेंगा दिखाने वाले का नाम बिना लिए बताया कि ऐसे लोगों के बारे में सभी जानते हैं।

विजय की अगुवाई में विश्वकर्मा समाज के युवा नेता विनय विश्वकर्मा, सुनील पांचाल विश्वकर्मा, जगवीर विश्वकर्मा, शिव कुमार विश्वकर्मा, अजीत पांचाल विश्वकर्मा, प्रेम किशोर विश्वकर्मा, विनोद विश्वकर्मा, संदीप विश्वकर्मा, बबलू विश्वकर्मा ने भी कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर शामिल हुए।

फोटोः गाजियाबाद में बसपा की रैली में विश्वकर्मा समाज के नेतागण।

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