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यूपी किरण ब्यूरो

नई दिल्ली।। एक बार फिर तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने एनडीए सरकार को घेरने की कोशिश की है।

सिब्बल का आरोप है कि तीन तलाक की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाकर केंद्र 2001 में तत्कालीन एनडीए सरकार के रुख से पलट रहा है।सिब्बल का कहना है कि तीन तलाक जैसे पर्सनल लॉ से जुड़ी प्रथा को गलत या सही करार नहीं दिया जा सकता क्योंकि यह आस्था का विषय है और यह मामला संवैधानिक नैतिकता के दायरे में नहीं आता।

हालांकि, अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि बोर्ड दावा करता है कि तीन तलाक पर्सनल लॉ का हिस्सा है, इसलिए इसमें लिंग के आधार पर न्याय, समानता और महिला की गरिमा का ध्यान रखना ही होगा, जैसा कि संविधान में भी तय है।

सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी के सेक्शन 125 के तहत की समयावधि के बाद भी हर्जाना पाने की हकदार है, अगर उसकी दोबारा शादी नहीं हुई और अपना खर्च उठाने में अक्षम हो।

सिब्बल ने कहा, ‘सरकारें बदल गईं और अफसर बदल गए और अब, सरकार के रुख में भी बदलाव आ गया है। उस वक्त उन्होंने बेहद जोर देकर वही दलील दी थी।

जो आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दे रहा है कि ट्रिपल तलाक में कथित भेदभाव को आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। वही एनडीए सरकार आज दलील दे रही है कि पर्सनल लॉ से जुड़ी प्रथा ट्रिपल तलाक को इसलिए खत्म कर दें क्योंकि इससे भेदभाव होता है।’

फोटोः फाइल

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