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अलग-2 जातियों व समूहों के साथ की जा रही बैठक, नगर निगम चुनाव को ध्यान में रखकर पर्टियो ने बढ़ाई गतिविधि

लखनऊ/दिल्ली ।। सुभाष विश्वकर्मा – शनिवार को मतदान तो पंजाब में होना है, लेकिन धड़कनें दिल्ली के नेताओं की भी तेज हो रही है। यह हाल  सिर्फ किसी एक पार्टी के नेता की नहीं है, बल्कि दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) से लेकर भाजपा व कांग्रेस  के नेताओं का भी यही हाल है। उनकी निगाहें पंजाब विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं, क्योंकि इसके परिणाम का असर दिल्ली नगर  निगमों के चुनाव पर भी पड़ेगा।

पंजाब के सियासी मैदान में आप के उतरने से दिल्ली का भी राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के साथ ही आप के कई नेता वहां चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। वे दिल्ली सरकार की उपलब्धियां गिनाकर वहां के मतदाताओं से वोट मांग रहे थे। वहीं, आप को जवाब देने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने भी दिल्ली के  नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए उतारा था। 

भाजपा ने दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही अपने युवा कार्यकर्ताओं को भी चुनाव प्रचार के लिए भेजा था, जोकि बाइक से पंजाब के शहरों में घूम-घूमकर दिल्ली सरकार की नाकामियों को गिना रहे थे।

इसी तरह से कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं की टीम भी वहां गई हुई थी। दिल्ली में भी तीनों पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रही हैं। भाजपा व कांग्रेस आरोप लगा रही हैं कि दिल्ली वासियों की समस्या को  नजर अंदाज कर मुख्यमंत्री और उनके मंत्री दूसरे राज्यों में राजनीतिक विस्तार में लगे हुए हैं। दरअसल, अप्रैल में दिल्ली के तीनों नगर निगमों का चुनाव होना है।

इससे पहले 11 मार्च को पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो जाएंगे। इसमें पंजाब और गोवा में तीनों ही  पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। इसलिए इनके परिणाम से निगम चुनाव के भी प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। जो भी पार्टी जीत हासिल करेगी उसके  कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा।

साथ ही वह अपनी सफलता को प्रचारित कर मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। इसलिए सभी दिल थामकर पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।

 

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