यूपीपीसीएस भर्ती की सीबीआई जांच हुई तो सामने आएगा ये सच

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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ।। आखिरकार उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने पिछड़ी जाति के छात्रों की मांग के आगे झुकते हुए यूपीपीसीएस की सीबीआई जांच का आदेश देने का मन बना लिया है।

जल्द ही कैबिनेट की एक बैठक में इस फैसले पर निर्णय लेकर इसे मूर्त रूप दिया जाएगा। अखिलेश यादव के पूरे 5 साल के कार्यकाल में भी यादव जाति के 54 लोग एसडीएम नहीं बने हैं।

2012 की जिस पीसीएस परीक्षा को लेकर ये शोर मचाया गया कि इसमें 86 पदों में से 54 पदों पर यादव जाति के अभ्यार्थी चयनित हो गए,

उस 2012 की पीसीएस परीक्षा की सच्चाई ये है कि इस परीक्षा में कुल 379 पद स्वीकृत किए गए थे और जिसमें से सिर्फ 30 पद ही एसडीएम पद के लिए स्वीकृत थे और इन 30 पदों पर यादव जाति के सिर्फ 5 उम्मीदवार ही चयनित हुए थे।

दरअसल, ओबीसी समुदाय हमेशा से यूपी लोकसेवा आयोग पर ये आरोप लगाता रहा है कि इस समुदाय के लोगों को इंटरव्यू में कम अंक देकर भेदभाव किया जाता है।

इसलिए लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव ने पहली बार इंटरब्यू को पारदर्शी बनाते हुए अभ्यार्थी का नाम और जाति इंटरब्यू बोर्ड के सदस्यों को न पता चले, ये व्यवस्था कर दी। ताकि धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव को रोका जा सके।

यही कारण है कि ये व्यवस्था आते ही कुछ संख्या में पिछड़ी जाति के लोगों को इंटरव्यू में भी अधिक नम्बर मिलने लगे। ऐसा पहली बार हो रहा था जब अनुसूचित जाति के लोग जनरल सीट पर पीसीएस में चयनित हो रहे थे।

ऐसा पहली बार था कि कुछ संख्या में दलित और पिछड़ी जातियों के अभ्यार्थी भी जनरल सीट पर चयनित हुए। इस बात से चिंतित होकर ही मीडिया समूहों ने अखिलेश सरकार के खिलाफ अन्य ओबीसी जातियों को भड़काने के लिए पटेल, मौर्या, और विश्वकर्मा जैसी जातियों के उन अभ्यार्थियों को भी यादव बता दिया जिन्हें इंटरव्यू में अधिक अंक दिए गए थे।

सोशल मीडिया पर पिछड़ी जाति से जुड़े अभ्यार्थियों ने मुख्यमंत्री योगी का आभार मानते हुए यूपी पीसीएस परीक्षा में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच कराने के आदेश का स्वागत किया है।

इन अभ्यार्थियों की एक मांग ये भी है कि मुख्यमंत्री जी इस बात की भी सीबीआई जांच कराएं कि यूपी पीसीएस में प्रारम्भिक परीक्षा में पिछड़ी जाति की मैरिच सवर्णों से कई बार अधिक तो कई बार बराबर कैसे जा रही है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री जी को अखिलेश यादव के कार्यकाल में सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर 84 में 83 पदों पर ब्राह्मण जाति के उम्मीदवारों की नियुक्ति की भी सीबीआई जांच करानी चाहिए।

इसी तरह गौतम बुद्ध नगर यूनिवर्सिटी में भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर ब्राह्मण जाति के अभ्यार्थोयों की बहुत अधिक संख्या में हुई नियुक्तियों की भी सीबीआई जांच करानी चाहिए।

फोटोः फाइल

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