इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली (IISER-मोहाली) के साइंटिस्टों ने कोरोना की नई दवा खोज लेने का दावा किया है। एक समाचार चैनल ने ये सूचना दी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लैब में चूहों पर इस नई दवा का ट्रायल कामयाब रहा है. इस नए शोध के बारे में समाचार चैनल से बात करते हुए संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि यह नई दवाई कोविड-19 के साथ-साथ इंफ्लूएंजा वायरस के विरूद्ध भी 100 % कारगर साबित हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये शोध युवा साइंटिस्ट निर्मल कुमार ने अपने चुनिंदा डॉक्टर के मार्गदर्शन में किया है. इसके साथ ही समाचार चैनल की टीम ने उस लैब का भी दौरा किया जहां यह टेस्ट किया गया था.
रिसर्च कब शुरू हुई?
कोरोना के प्रकोप से पहले 2020 में IISER मोहाली के वैज्ञानिक विभिन्न वायरस पर काम कर रहे थे। इसी बीच एक ऐसा कंपाउंड पाया गया जो इन वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है। यानी ये दवाएं उन रास्तों की रक्षा करती हैं जिनसे वायरस शरीर में प्रवेश करता है। फिलहाल रिसर्च चल ही रही थी कि तभी कोरोना महामारी भी शुरू हो गई।
इसके बाद साइंटिस्टों ने इस दवा को कोरोना वायरस पर आजमाने का निर्णय लिया। निर्मल कुमार ने इस दवा की खोज की थी, इसलिए उन्होंने अपने वरिष्ठ चिकित्सक बनर्जी से कहा कि इसे कोरोना वायरस पर भी आजमाया जाना चाहिए. अगर यह बाकी वायरस को अंदर आने से रोक सकता है तो कोरोना को रोकने में भी कामयाब हो सकता है और फिर डॉ. निर्मला की बात सही निकली.
चूहों पर हुआ सफल ट्रायल
किसी भी नई खोजी गई दवा/दवा का सार्वजनिक रूप से उपयोग करने से पहले जानवरों पर प्रयोगशाला परीक्षण किए जाते हैं। वैज्ञानिक निर्मल कुमार ने भी इस दवा को सबसे पहले लैब में चूहों पर आजमाया था। पहले उन्हें रैट वायरस से संक्रमित किया गया और फिर उन्हें ये नई दवाएं दी गईं। दवा देने के बाद चूहा बहुत जल्दी ठीक हो गया। इस प्रकार कोरोना वायरस के लिए निर्मल कुमार की यह नई दवाई सफल रही। उन्होंने इस दवा का पेटेंट कराने के लिए अमेरिका में आवेदन भी किया है।
आपको बता दें कि इस दवा को बाजार में आने में 5 साल से ज्यादा का वक्त लग सकता है। क्योंकि अब क्लिनिकल ट्रायल और तमाम औपचारिकताएं पूरी करने में बहुत वक्त लगेगा।
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