वर्तमान में कई देश अपने विरोधी से जीतने और उससे आगे निकलने के लिए कई तरह रणनीतियां बना रहे हैं। कई देश ऐसे हैं जो हथियारों के बल पर अपने दुश्मन से लोहा ले रहे हैं, तो वहीं कई ऐसे भी हैं जो अनाज हथियार बना रहे हैं।
जियोपॉलिटिक्स, एक बड़े हथियार के रुप में उबर रहा है। इसमें कई देश बंदूक मिसाइल से नहीं बल्कि अनाज के दम पर जंग लड़ते हैं। जिसका खामियाजा सभी देशों को भुगतना पड़ता है।
यूक्रेन रुस मध्य हुई जंग में मॉस्को अब गेहूं को बंदूक बनाएगा, जिसका अंजाम दुनिया को भुगतना पड़ सकता है। रूस विश्व का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है। रूस-यूक्रेन जंग के चलते पहले से ही ग्लोबल फूड सप्लाई गड़बड़ाई हुई है। बीते वर्ष खाद्यान्न की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं और अब रूस जिस तरह गेहूं निर्यात पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा रहा है, उससे हालात और भयावह होंगे।
पुतिन राष्ट्र का प्रयास है कि गेहूं निर्यात में केवल सरकारी कंपनियां या फिर उसकी घरेलू कंपनियां ही रहें ताकि वह निर्यात को हथियार की तरह और ज्यादा कारगर उपयोग कर सके। इस बीच दो बड़े अंतरराष्ट्रीय ट्रेडर्स एक्सपोर्ट के लिए रूस में गेहूं खरीद को रोकने जा रहे हैं जिसके बाद ग्लोबल फूड सप्लाई पर रशिया की पकड़ और मजबूत हो जाएगी।
रूस गेहूं का हथियार के तौर पर उपयोग करते हुए अपनी मर्जी के मुताबिक चुनिंदा मुल्कों को ही उसका निर्यात करेगा। इससे फूड सप्लाई चेन तो प्रभावित होगी ही, बीते वर्ष की तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी भी हो सकती है।
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