हिंदू समुदाय में, जब कोई विवाह होता है तो हम हमेशा दूल्हा और दुल्हन को वरमाला पहने हुए देखते हैं। पर क्या आप जानते हैं इसका असल मकसद क्या है? आईये जानते हैं-
जानकारी के अनुसार वरमाला में शुभ फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन आइए जानें कि यह वास्तव में किस प्रकार का प्रतीक है। वरमाला को वैवाहिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसे सबसे अहम बताया गया है.
वरमाला भारतीय शादी का एक बड़ा हिस्सा है। यह न केवल हिंदू बल्कि सिख और जैन धर्मों में भी विवाह में बड़ी भूमिका निभाता है। आप एक-दूसरे के गले में बंधन डालकर एक-दूसरे को जीवनसाथी चुनते हैं। तो संक्षेप में यह एक आजीवन प्रतिबद्धता है।
वे संक्षेप में एक-दूसरे से जीवन भर एक-दूसरे से प्यार करने और सम्मान करने का वादा करते हैं। इसकी शुरुआत विवाह मंडप से ही हो जाती है. हिंदू रिति रिवाज में, वरमाला पहनना दूल्हा और दुल्हन के बीच एक आध्यात्मिक बंधन माना जाता है। य् इस बात का प्रतीक है कि उनका बंधन कभी नहीं टूटेगा।
आपको बता दें कि वरमाला में कई प्रकार के फूलों का उपयोग होता है। इसका फूल कोलकाता और बंगलुरु से भी आता है। इसमें मुख्य रुप से गुलाब तथा रजनीगंधा फूल का यूज किया जाता है।
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