छत्तीसगढ़ में आई फ्लू के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कंजक्टिवाइटिस की स्थिति की समीक्षा करने के लिए बैठक बुलाई। बैठक में आईफ्लू को रोकने के लिए सीएम ने अफसरों को अहम दिशा निर्देश दिए हैं।
वहीं डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने बताया कि राज्य में आई फ्लू के 19,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में इसके लिए पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हैं। साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने भी आदेश जारी कर दिया है कि अगर बच्चों में यह लक्षण दिखते हैं तो उन्हें स्कूल आने से मना किया जाए। आंखों में होने वाले इंफेक्शन को कंजक्टिवाइटिस कहा जाता है। इसे पिंक के नाम से भी जाना जाता है। बरसात के मौसम में आईफ्लू के सबसे ज्यादा मामले देखे जाते हैं।
न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि मध्यप्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में यह तेजी से फैल रहा है। तेजी से फैल रहे वायरस का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रायपुर मेडिकल कॉलेज में सैंपल कल्चर एंड सेंसिविटी जांच के लिए भेजे हैं। बता दें कि बालोद जिले में कुछ दिनों पहले 500 के करीब पिंक आई के मामले सामने आए थे।
वहीं बस्तर और दुर्ग में भी इसका सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिल रहा है। दोनों ही जिलों में मरीजों का आंकड़ा लगभग 1500 से पार पहुंच चुका है। इसके अलावा सरगुजा में डेढ़ 100 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और कवर्धा के कोनी गांव में डेढ़ 100 बच्चों को एक साथ आई फ्लू का संक्रमण हुआ है। बिलासपुर में भी भयानक स्थिति बताई जा रही है। यहां रोजाना कम से कम 500 से अधिक मरीज मिल रहे हैं। सबसे ज्यादा मामले स्कूली बच्चों में ही लगातार देखने को मिल रहे हैं।
रायपुर में आई फ्लू की रोकथाम के लिए शिविर भी लगाया जा रहा है। इन शिविर के जरिए मरीजों की जांच की जा रही है और जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
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