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नई दिल्ली।। वैश्विक महामारी कोरोना के फैलने पर आजादी के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश पुलिस ने एपेडमिक डिजीज एक्ट (Epidemic Disease Act) का इस्तेमाल किया है। इस एक्ट के तहत पहला मुकदमा लखनऊ में बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर पर दर्ज किये जाने के बाद अब तक पूरे यूपी में हजारों मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। महामारी को काबू करने के लिए सौ साल से भी ज्यादा पुराना यह कानून आज भी कारगर साबित हो रहा है।

बता दें कि 1897 में अंग्रेजों ने मुंबई में फैले ब्यूबानिक प्लेग (Bubonic plague) पर काबू पाने के लिए इस एक्ट को बनाया था। इसके बाद देश में 1987 में एक बार और कुछ जगहों पर ‘एपेडमिक डिजीज एक्ट’ नाम से चर्चा में आया। हालाँकि प्रदेश सरकार अब इसमें कुछ और संशोधन करने जा रही है। जिसमें ज्यादा सजा और कड़े जुर्माने का प्रावधान होगा।

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गौरतलब है कि, 21 दिन के लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर इस एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो रही है। पूरे प्रदेश में अबतक लॉकडाउन और महामारी एक्ट में 10,803 मुकदमे दर्ज हुए हैं। लखनऊ में कुल 377 मुकदमे मंगलवार को दर्ज किये गये। इनमें 27 मुकदमे महामारी एक्ट की धाराओं में हैं। बरेली में 15 दिन में 162 मुकदमे दर्ज किये हैं।

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आइये जानते हैं कि क्या है कानून-
महामारी रोग अधिनियम, 1897 के अन्तर्गत मिली शक्तियों से सरकारें नियमावली बना सकती है। इस एक्ट के तहत सरकार यात्राओं पर रोक लगा सकती हैं। यही नहीं बल्कि लोगों को जांच, उपचार और प्रवास के लिए बाध्य कर सकती है। उल्लंघन पर जुर्माना या IPC-1860 की धारा 188 के तहत दंडनीय अपराध मानकर कार्रवाई हो सकती है। इस कार्रवाई के खिलाफ वाद भी दाखिल नहीं हो सकता।

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इससे पहले वर्ष 2009 में पुणे में स्वाइन फ्लू को नियंत्रित करने के लिए इस कानून को लागू किया गया था। इसके बाद वर्ष 2015 में चंडीगढ़ में डेंगू और मलेरिया पर काबू पाने के लिए इस कानून का उपयोग किया गया था। वर्ष 2018 में गुजरात के एक गांव में फैले हैजा की रोकथाम के लिए भी इस कानून को लागू किया गया था। वर्ष 2020 में कोरोना से फैली महामारी के बीच लॉकडाउन के उल्लंघन में भी यह कानून लागू है।

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प्रदेश में लॉकडाउन के उल्लंघन पर IPC 188 और महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई हो रही है। इसी क्रम में मेरठ रेंज में बड़ी संख्या में मुकदमे और गिरफ्तारियां हुई हैं।

इन में लागू होती है
IPC की धारा-270, किसी जानलेवा बीमारी, महामारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम, जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है और आरोपी ने अगर जानबूझकर महामारी को फैलाने के लिए कदम उठाया हो। इसमें 6 महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

इन अपराधों में लगती है
IPC की धारा 269 किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैर जिम्मेदाराना काम। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को 6 महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

क्या हैं IPC की धारा 269 और 270
IPC की धारा-269 और 270 में स्वास्थ्य, सुविधा, सुरक्षा, शालीनता और नैतिकता को प्रभावित करने वाले अपराधों का जिक्र किया गया है। महामारी एक्ट लागू होने के बाद इन्हीं धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है।

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