Up Kiran, Digital Desk: बांके बिहारी मंदिर के 160 साल पुराने खजाने का रहस्य 54 साल बाद आखिरकार खुल गया है। शनिवार को मंदिर के उस खास कपाट को खोल दिया गया, जिसे आखिरी बार 1971 में खोला गया था। इस कपाट के भीतर सोने-चांदी के सिक्के और कलश मिले हैं, जो मंदिर की अमूल्य संपदा का हिस्सा हैं।
धनतेरस के पावन अवसर पर इस ऐतिहासिक खजाने को खोलने का काम सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने संभाला। इस समिति में प्रशासनिक अधिकारी और मंदिर के चार नामित गोस्वामी शामिल थे। खजाना मंदिर के गर्भगृह के नीचे छुपा था, जहां लंबे समय से खजाने के होने की चर्चा चल रही थी।
1971 के बाद यह पहली बार हुआ है जब इस खजाने तक पहुंच बनाई गई है। मंदिर कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि दरवाजा खोला गया है, लेकिन अंदर अभी काफी मलबा पड़ा हुआ है और कोई भी खजाने का हिस्सा अभी बाहर नहीं निकला है।
माना जा रहा है कि मंदिर के गर्भगृह के पास सोने-चांदी के आभूषण, कलश और सिक्के सुरक्षित रखे गए हैं। इस खास जगह को खोलने की मांग लंबे समय से थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक विशेष समिति को सौंपा गया। खजाने की खोज के दौरान टीम ने सुरक्षा उपकरण और मास्क का इस्तेमाल किया, क्योंकि कमरे में सांप, बिच्छू जैसे जानवरों की संभावना बनी हुई थी।
वन विभाग की टीम ने स्नेक कैचर के साथ सांप पकड़ने की तैयारी कर रखी थी। विषैले गैसों से बचाव के लिए नीम की पत्तियां भी कमरे में रखी गईं। साथ ही, मेडिकल टीम भी हर स्थिति से निपटने के लिए तैनात थी।
इस कमरे में सोने-चांदी के जेवरात, हीरे-मोती और अन्य कीमती वस्तुएं होने की संभावना जताई जा रही है। यह कार्य बांके बिहारी मंदिर की उच्च प्रबंधन समिति के आदेश के तहत किया गया। समिति में मंदिर प्रबंधन के साथ सिविल जज, ऑडिटर और पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।
खजाना खोलने का निर्णय 29 सितंबर को लिया गया था और 17 अक्टूबर को मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट चंद्र प्रकाश सिंह ने इसका औपचारिक आदेश जारी किया था। यह कदम मंदिर की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

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