Up Kiran, Digital Desk: गुरुबख्शगंज के नगदिलपुर गांव में उस दिन मातम पसर गया जब 40 साल से गायब बड़े भाई की लाश घर लौटकर आई। जी हाँ, जिस लवकुश शुक्ला को पूरा परिवार मरा समझ चुका था, उनकी मौत की खबर गुरुवार को पुलिस के फोन से मिली। छोटे भाई अखिलेश और शिवसागर जब पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो कफन में लिपटा शव देखकर दोनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। दोनों वहीं बैठकर फूट-फूटकर रोने लगे।
दरअसल बुधवार रात कानपुर के सद्भावना चौकी क्षेत्र में एक बुजुर्ग बेहोश हालत में मिले थे। पुलिस उन्हें उर्सला अस्पताल ले गई। इलाज के दौरान गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई। जेब में मिले पुराने कागजात से पता चला कि उनका नाम लवकुश शुक्ला है और मूल पता रायबरेली का है। पुलिस ने तुरंत परिवार को फोन कर दिया।
अखिलेश शुक्ला ने बताया कि साल 1985 के आसपास लवकुश भाई 12वीं पास करने के बाद अचानक घर से निकल गए थे। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 20 साल थी। घर में कोहराम मच गया। माँ-बाप दिन-रात रोते रहते थे। कई साल तक तलाश करते रहे लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। धीरे-धीरे सबने मान लिया कि शायद वो इस दुनिया में नहीं रहे।
सबसे हैरान करने वाली बात ये रही कि लवकुश भाई कानपुर में ही थे। सद्भावना चौकी इंचार्ज रामपूजन बिंद ने बताया कि बुजुर्ग किसी छोटी दुकान में काम करते थे। अकेले रहते थे। किसी को अपना असली नाम-पता नहीं बताया था।
अखिलेश के घर में आज भी दो-तीन पुरानी एल्बम पड़ी हैं। उनमें लवकुश भाई पिता श्यामलाल शुक्ला और माँ के साथ खड़े मुस्कुराते दिखते हैं। उनका छोटा बेटा जब भी एल्बम देखता तो उंगली रखकर पूछता, "पापा ये कौन हैं जो आपके बगल में खड़े हैं?" कई बार तो झूठ बोलना पड़ा कि ये मेरे दोस्त हैं। अब सच बताने का वक्त आ गया है।
अखिलेश ने बताया कि जैसे ही लाश गांव पहुंचेगी, बेटे को पूरी कहानी सुनानी पड़ेगी। 40 साल पुराना दर्द फिर से ताजा हो जाएगा। घर में फिर वही मातम होगा जो कभी लवकुश के गायब होने पर हुआ था। बस इस बार रोने की वजह जुदाई नहीं, मिलन के बाद की विदाई होगी।
परिवार अब अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है।


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