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Up kiran,Digital Desk : प्रयागराज से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक फौजी, जो अपनी चचेरी बहन की शादी की खुशियों में शामिल होने घर आया था, उसकी जान एक मामूली सड़क विवाद में ले ली गई। यह घटना दिखाती है कि कैसे सड़क पर कुछ पलों का गुस्सा एक हँसते-खेलते परिवार को हमेशा के लिए बर्बाद कर सकता है।

शादी के घर में छाया मातम

30 साल के विवेक सिंह, जो भारतीय सेना में जवान थे और दिल्ली में तैनात थे, अपनी बहन की शादी के लिए छुट्टी पर अपने गांव धरवारा आए हुए थे। शनिवार की रात, शादी की रस्मों के बीच, वह अपने एक दोस्त को कार से छोड़ने के लिए निकले थे। जब वह वापस लौट रहे थे, तो रास्ते में एक स्कॉर्पियो गाड़ी को ओवरटेक करने को लेकर उनकी कहासुनी हो गई।

विवाद इतना बढ़ा कि स्कॉर्पियो में बैठे लोगों ने विवेक पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया। उन्होंने विवेक के सिर पर इतनी जोर से वार किया कि वह वहीं गिरकर बेहोश हो गए।

लखनऊ में तोड़ा दम, परिवार में मचा कोहराम

परिवार वाले तुरंत विवेक को अस्पताल ले गए, लेकिन हालत गंभीर होने की वजह से उन्हें लखनऊ के आर्मी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। वहां दो दिन तक जिंदगी और मौत से लड़ने के बाद, सोमवार की सुबह विवेक ने दम तोड़ दिया। जैसे ही यह खबर गांव पहुंची, शादी की शहनाइयों की गूंज मातम में बदल गई और परिवार में कोहराम मच गया।

कौन हैं ये बेरहम कातिल?

इस घटना की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विवेक की जान लेने वालों में एक पुलिसवाला और एक दूसरा फौजी भी शामिल है। पुलिस ने तेजी दिखाते हुए, फौजी की मौत के 4 घंटे के अंदर ही स्कॉर्पियो के नंबर के आधार पर सभी पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

  • राजकमल पांडेय: मिर्जापुर में ASI (असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर) के पद पर तैनात है।
  • राजीव कुमार ठाकुर: यह भी एक फौजी है और इंदौर में तैनात है।
  • अन्य आरोपी: दिनेश यादव (गाड़ी का मालिक), राजू अग्रहरि और भाई लाल यादव।

आरोपियों ने बताई अलग कहानी, लेकिन...

पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने अपनी जान बचाने के लिए एक अलग ही कहानी गढ़ी। उन्होंने कहा कि विवेक गलत तरीके से कार चला रहा था और पास नहीं दे रहा था। इसी बात पर कहासुनी हुई और धक्का-मुक्की में वह खुद ही गिरकर घायल हो गया।

हालांकि, विवेक के पिता, जो खुद सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हुए हैं, ने साफ-साफ कहा है कि उनके बेटे की हत्या लोहे की रॉड से पीट-पीटकर की गई है।

पीछे छोड़ गए रोता-बिलखता परिवार

विवेक दो भाइयों में छोटे थे। उनके जाने से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनकी पत्नी प्रतिभा और 3 साल के मासूम बेटे वेदांत का रो-रोकर बुरा हाल है। एक पिता, जो खुद देश की सेवा कर चुका है, आज अपने फौजी बेटे का शव आने का इंतजार कर रहा है। यह एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती