Up kiran,Digital Desk : नोएडा में अगर आपके पास भी 10 साल पुरानी डीजल या 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ी है, तो यह खबर आपके लिए है. शहर में प्रदूषण के खिलाफ चल रही बड़ी कार्रवाई के तहत, नोएडा परिवहन विभाग ने पिछले तीन महीनों में 30,000 से ज्यादा ऐसी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) रद्द कर दिया है. इस फैसले ने जहां एक तरफ पर्यावरणविदों का समर्थन पाया है, वहीं दूसरी तरफ उन हजारों परिवारों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, जिनकी रोजी-रोटी इन्हीं गाड़ियों के पहियों पर चलती थी.
तीन महीनों में चली 30 हजार से ज्यादा गाड़ियों पर कैंची
परिवहन विभाग के अधिकारी नंद कुमार के अनुसार, यह कार्रवाई अगस्त से ही तेज कर दी गई थी.
इनमें आम लोगों की निजी कारों, स्कूटरों और मोटरसाइकिलों से लेकर टैक्सी और माल ढोने वाली गाड़ियां भी शामिल हैं. RC रद्द होने का सीधा मतलब है कि अब यह गाड़ियां कानूनी तौर पर सड़क पर नहीं चल सकतीं. इस फैसले ने उन लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है जो अपनी पुरानी टैक्सी या माल ढोने वाली गाड़ी से परिवार का पेट पालते थे. अब ये लोग या तो घर बैठने पर मजबूर हैं या फिर सार्वजनिक परिवहन का सहारा ले रहे हैं, जिससे उनका काम और कमाई, दोनों प्रभावित हो रहे हैं.
फिटनेस टेस्ट पास करने वालों को मिली थोड़ी राहत
हालांकि, इस सख्त कार्रवाई के बीच थोड़ी राहत की खबर भी है. जिन गाड़ियों ने वाहन योग्यता प्रमाणपत्र (फिटनेस सर्टिफिकेट) टेस्ट पास कर लिया है, उन्हें विभाग की तरफ से अस्थायी छूट दी जा रही है. आंकड़ों के मुताबिक:
यह फैसला उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है जो फौरन नई गाड़ी खरीदने की आर्थिक स्थिति में नहीं थे. उन्हें अपनी पुरानी गाड़ी को बदलने या इसका कोई और हल निकालने के लिए थोड़ी मोहलत मिल गई है.
सरकार से क्या है जनता की मांग?
इस फैसले पर आम लोगों की राय बंटी हुई है. कई नागरिकों का कहना है कि यह फैसला अचानक और बिना किसी तैयारी के लिया गया है, जिसका सबसे बुरा असर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर पड़ा है. उनकी सरकार से कुछ प्रमुख मांगें हैं:
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